महाराष्ट्र विधानमंडल में गुरुवार को मराठों को शिक्षा और नौकरी में 16 फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव पास होने के बाद अब राजपूतों और ब्राह्मण समुदाय के लोगों ने भी आरक्षण की मांग की है. अतिरिक्त आरक्षण कोटे के लिए समुदाय के लोगों ने ओबीसी आयोग को पत्र भी लिखा है. इसी के चलते AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने महाराष्ट्र में मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा उठाया है. और इस बाबत उन्होंने एक विडियो ट्वीट कर मुसलमानों के साथ नाइंसाफी का आरोप लगाया है. आपको बता दें कि महाराष्ट्र में मराठा और गुजरात में पाटीदारों के शिक्षा और नौकरी में 16 फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव पास हो गया.
ओवैसी ने की आरक्षण की मांग
वहीं, एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मुस्लिमों के लिए आरक्षण की मांग की है. उनका कहना है कि मुस्लिम भी रिजर्वेशन के हकदार हैं क्योंकि पीढ़ियों तक वे गरीबी में रहे है. ओवैसी ने ट्विटर पर लिखा, ‘रोजगार और शिक्षा में पिछड़े मुसलमानों को वंचित रखना अन्याय है. मैं लगातार कहता आया हूं कि मुस्लिम समुदाय में ऐसी पिछड़ी जातियां हैं जो पीढ़ियों से गरीबी में है. आरक्षण के जरिए इन्हें बाहर निकाला जा सकता है. अपनी इस मांग के साथ ओवैसी ने एक विडियो भी ट्वीट किया है.
गुजरात में राजपूत समुदाय के नेताओं ने कहा है कि वे कुल जनसंख्या का महज 8 फीसदी हैं और महाराष्ट्र में मराठों की तरह वह राज्य में 8 फीसदी रिजर्वेशन की मांग करते है. उधर, समस्त गुजरात ब्रह्म समाज ने ओबीसी आयोग को पत्र लिखकर उन्हें ओबीसी में शामिल करने के लिए सर्वे की मांग की है. गुजरात ब्रह्म समाज के मुखिया यग्नेश देव ने कहा कि गुजरात में ब्राह्मणों की संख्या 60 लाख है जो कुल जनसंख्या का 9.5 फीसदी है. उन्होंने कहा कि 42 लाख ब्राह्मण आर्थिक रूप से कमजोर है.
उन्होंने गुजरात सरकार से एक सर्वे कराने और ब्राह्मणों को आरक्षण देने की बात कही है. राजपूत गरासिया समाज संगठन ने ओबीसी आयोग के मुखिया सुगनाबेन भट्ट से मुलाकात करके एक लिखित अपील की है. गांधीनगर जिले के राजपूत समाज के नेता राजन चावड़ा ने कहा कि राजपूत गरासदार को ओबीसी में शामिल करना चाहिए और ओबीसी कैटिगरी में अतिरिक्त कोटा देना चाहिए.
‘राजपूतों को नहीं मिल रहे समान अवसर’
चावड़ा का कहना है कि राजपूतों को वर्कप्लेस और शिक्षा क्षेत्र में समान अवसर नहीं मिल रहे है. वह मुख्य तौर पर खेती पर निर्भर है. दूसरे समुदायों से तुलना में उनके समुदाय में कमाऊ महिलाओं की संख्या कम है. उन्होंने कहा कि संविधान में यह नहीं लिखा है कि सिर्फ 50 फीसदी आरक्षण ही दिया जाना चाहिए.
इसके जरिए उन्होंने यह बताने की कोशिश की है कि महाराष्ट्र के मुसलमानों को आरक्षण की जरूरत क्यों है. उनके द्वारा शेयर विडियो में कहा गया है कि महाराष्ट्र में मुसलमान कुल आबादी का 11.5% हैं और इनमें से 60 फीसदी गरीबी की रेखा के नीचे जीवन-यापन करने को मजबूर है.
Depriving backward Muslims of their fair share in public employment & education is a grave injustice. I’ve consistently argued that there are backward castes in Muslims who have lived for generations in a cycle of poverty. Reservation is a tool that will break this cycle pic.twitter.com/oc8Ls5Rdxa
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) November 29, 2018
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