नैनीताल: नैनीताल में नैनीझील तो सभी ने देखी ही होगी, लेकिन एक जमाना था, जब नैनीताल में खूखाताल भी हर बरसात में पानी से लबालब भरा रहता था, लेकिन पिछले कई सालों से सूखाताल किसी मैदान की तरह ही नजर आ रहा था। बारिश होती भी थी, तो सूखाताल में पानी नहीं टिकता था। इस बार हुई भीषण बारिश के बाद सूखाताल भी लबाबल नजर आ रहा है।
सूखाताल में अतिवृष्टि के बाद लबालब पानी भर गया है, जिससे यह बहुत आकर्षक नजर आ रहा है। इससे एक उम्मीद यह भी जगी है कि सूखाताल अब फिर से हमेशा ही भरा हुआ नजर आ सकता है। इसके सौंदर्यकरण के लिए पहले से योजना तय है, लेकिन, आपदा के बाद अब उसे प्रस्ताव को बदलने की भी तैयारी चल रही है। अब इसके बीच में बनने वाले एक्टिविटी पार्क को न बनाने और उसकी जगह भी झील ही रखे जाने का निर्णय लिया गया है। इससे ऊपरी छोर पर बनने वाले पौंड के बजाय झील का क्षेत्र बढ़ जाएगा।
वर्ष 1993 के बाद पहली बार सूखाताल लबालब नजर आ रहा है। कुमंविनि ने इसे इसी रूप में विकसित करने के उद्देश्य से ड्रोन से इसका वीडियो बनवाया, जिसमें इसका सौंदर्य निखर कर सामने आया है। निगम ने नैनीझील का भी ऐसा ही वीडियो बनवाया है। करीब 26 करोड़ रुपये की लागत से सूखाताल का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है, जिसके तहत यहां रिचार्ज वैल, 9145 वर्ग मीटर में प्राकृतिक झील का निर्माण, झील के चारों ओर पैदल पथ निर्माण, ओपन एयर थियेटर, चिल्ड्रन पार्क, सूचना केंद्र, वुडन स्ट्रक्चर में क्योस्क, ग्रेवियार्ड संरक्षण एवं लैंड स्केप कार्य किया जाना था।
परियोजना से जुड़े कुमाऊं मंडल विकास निगम के प्रबंध निदेशक नरेंद्र भंडारी ने बताया कि सौंदर्यीकरण के कार्यों पर निगरानी रखने के लिए नगर के गणमान्य नागरिकों व पर्यावरण विशेषज्ञों और भूवैज्ञानिकों के सुझाव पर इसके पूर्व निर्धारित डिजाइन में परिवर्तन करते हुए यहां बनने वाली दो झीलों के बीच में प्रस्तावित एक्टिविटी पार्क के बजाय अब उस क्षेत्र को भी बड़ी वाली ऊपरी लेक में शामिल किया जा रहा है।
इसका डिजाइन आईआईटी रुड़की से बन कर आ गया है। अब इस जगह पर सिर्फ दो झीलें और इनके चारों ओर मिट्टी व पेबल से बना कच्चा परिपथ बनेगा, जिससे यहां आने वाला सारा जल भूमि में अवशोषित हो सके। झील की सतह में सीमेंट या टाइल का प्रयोग नहीं किया जाएगा बल्कि बायो डिग्रेडेबल मिट्टी इस्तेमाल की जाएगी, ताकि पानी लंबे समय तक इसमें टिका रहे और धीरे धीरे भूमि में अवशोषित होकर नैनीझील को रिचार्ज भी करता रहे। सीमेंट केवल चारों ओर की दीवार के निर्माण में प्रयुक्त होगा।
निगम के महाप्रबंधक एपी वाजपेयी ने बताया कि नए डिजाइन में यह भी व्यवस्था है कि विशेष ट्रेंचलेस तकनीक से बड़ी झील का अतिरिक्त पानी नीचे की छोटी झील में जाता रहे। हाल की अतिवृष्टि जैसी विपदा में इससे भूमिगत रूप से अतिरिक्त जल की निकासी आसानी से की जा सके जिससे आसपास के भवनों को खतरा न हो।
सूखाताल के सौंदर्यीकरण कार्यों के तहत भूगर्भ विशेषज्ञों की सलाह पर इसकी खुदाई कर मलबा हटाया जाना प्रस्तावित था। जीएम वाजपेयी ने बताया कि तमाम लोगों ने निर्माण कार्यों का मलबा यहां भर दिया था। इस स्थल की दो मीटर तक खुदाई करके यह मलबा हटा दिया है। यदि यह खुदाई न कि गई होती तो 1993 की अतिवृष्टि की तरह आसपास के भवनों की एक मंजिल पानी में डूब जाने से कोई बड़ा हादसा हो सकता था।
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