दीप

कल दीपों का त्यौहार यानी की दीपावली है। इस दिन महालक्ष्मी की पूजा की जाती है। भागवत और विष्णुधर्मोत्तर पुराण के मुताबिक समुद्र मंथन से कार्तिक महीने की अमावस्या पर लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं। वहीं, वाल्मीकि रामायण में लिखा है कि इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी का विवाह हुआ था। इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजा की परंपरा है। स्कंद और पद्म पुराण का कहना है कि इस दिन दीप दान करना चाहिए, इससे पाप खत्म हो जाते हैं।

दीपावली पर दीपक पूजन करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इस दिन लक्ष्मी पूजा से पहले कलश, भगवान गणेश, विष्णु, इंद्र, कुबेर और देवी सरस्वती की पूजा की परंपरा है। ज्योतिषियों का कहना है कि इस बार दिवाली पर तुला राशि में चार ग्रहों के आ जाने से चतुर्ग्रही योग बन रहा है। इस दिन की गई पूजा का शुभ फल जल्दी ही मिलेगा।

ये मंत्र पढ़ते हुए आचमन करें और हाथ धोएं..
ॐ केशवाय नमः, ॐ माधवाय नम:, ॐनारायणाय नमः ऊँ ऋषिकेशाय नम:

अनामिका अंगुली से चंदन/रोली लगाते हुए मंत्र पढ़ें-
चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्
आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठतु सर्वदा।

कलश पूजा
कलश में जल भरकर उसमें सिक्का, सुपारी, दुर्वा, अक्षत, तुलसी पत्र डालें फिर कलश पर आम के पत्ते रखें। नारियल पर वस्त्र लपेटकर कलश पर रखें। हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर वरुण देवता का आहवान मंत्र पढ़कर कलश पर छोड़ें –
आगच्छभगवान् देवस्थाने चात्र स्थिरोभव।
यावत् पूजा समाप्ति स्यात् तावत्वं सुस्थिरो भव।।
फिर कलश में कुबेर, इंद्र सहित सभी देवी-देवताओं का स्मरण कर के आव्हान और प्रणाम करें।

भगवान गणेश, विष्णु, इंद्र और कुबेर पूजा विधि
लक्ष्मी जी की पूजा से पहले भगवान गणेश का पूजन करें। ॐ गं गणपतये नम: मंत्र बोलते हुए गणेश जी को स्नान करवाने के बाद सभी पूजन सामग्री चढ़ाएं। इसके बाद हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर कुबेर, इंद्र और भगवान विष्णु की मूर्ति पर चढ़ाते हुए मंत्र बोलें, सर्वेभ्यो देवेभ्यो स्थापयामि। इहागच्छ इह तिष्ठ। नमस्कारं करोमि। फिर सर्वेभ्यो देवेभ्यो नम: बोलते हुए सभी देवताओं पर पूजन सामग्री चढ़ाएं।

अक्षत-पुष्प लेकर सरस्वती जी का ध्यान कर के आव्हान करें। फिर ऊँ सरस्वत्यै नम: मंत्र बोलते हुए एक-एक कर के सभी पूजन सामग्री चढ़ाएं। साथ ही इसी मंत्र से पेन, पुस्तक और बहीखाता की पूजा करें। इसके बाद लक्ष्मी पूजा शुरू करें।

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