देहरादून: अपराधी अपराध करते हैं और उन्हें पुलिस कड़ी मशक्कत से पकड़ कर जेल में बंद करती है लेकिन ये अपराधी शांत नहीं बैठते बल्कि वो जेल में भी अपने अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। इसमे सवाल ये है कि आखिर अपराधी जेल में अंदर किसकी शह पर अपराध पर अपराध कर रहे हैं। कैदियों को आखिर कौन संसाधन जेल के अंदर उपलब्ध करा रहा है? सवाल ये भी है कि क्या ये जेल प्रशासन की मिली भगत के बिना संभव है।

जी हां ये हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि उत्तराखंड की जेलों से खास तौर पर अल्मोड़ा जेल से ऐसे बड़े मामलों का खुलासा हुआ जिससे पुलिस विभाग भी हैरान है। अल्मोड़ा जेल के अंदर से नशे का कोराबार और पौड़ी जेल के अंदर से हत्या के लिए सुपारी देने का मामला सामने आया। पौड़ी जेल में बंद कुख्यात बदमाश नरेंद्र वाल्मिकी जेल के अंदर से अपना नेटवर्क चलाता पकड़ा गया। उसने बाहर दो लोगों को मारने की सुपारी दी वो भी 10 लाख रुपये में। उसके पास से फोन और कई चीजें बरामद हुई। ये पहला मामला नहीं है, जब जेलों से कुख्यात अपराधी अपना नेटवर्क चला रहे हैं. पहले भी हरिद्वार रुड़की जेल से ऐसे मामले सामने आए हैं. अब हाल के दिनों में पहले अल्मोड़ा और फिर पौड़ी जेल से क्राइम नेटवर्क संचालित करने का खुलासा एसटीएफ ने किया था. वहीं बीते दिन भी ब़ड़े नशा तस्करी के कारोबार का खुलासा हुआ जो की जेल के अंदर से ऑपरेट किया जा रहा था।

एक के बाद एक कल अल्मोड़ा समेत पौड़ी जेल को लेकर खुलासा

आपको बता दें कि एसटीएफ ने पिछले दिनों अल्मोड़ा जेल में छापेमारी की थी। जेल में अपराधी के पास से फोन समेत सिम कार्ड बरामद हुए थे। उसके बाद 24 नवंबर को एक बार फिर अल्मोड़ा जेल में छापेमारी की गई। इस छापेमारी में एक और बड़ा खुलासा हुआ। इस खुलासे में पता चला कि जेल के भीतर से ही ड्रग्स का काला कारोबार चल रहा है। जेल में फिर से फोन मिला और नकदी भी बरामद की गई। पौड़ी जेल में बंद नरेंद्र वाल्मीकि जेल में भीतर बैठकर अपना गैंग चला रहा था। उसके गुर्गे हत्या करने के फिराक में थे। एसटीएफ ने पहले तीन लोगों को गिरफ्तार किया था और हाल ही में गैंग के बदमाश पंकज वाल्मीकि को गिरफ्तार कर चुकी है। इससे पता चलता है कि जेलों में किस तरह से बदमाशों का राज चल रहा है।

एसटीएफ ने अल्मोड़ा जिला जेल से चल रहे नशे के काले कारोबार का किया खुलासा

वहीं बीते दिन एसटीएफ ने अल्मोड़ा जिला जेल से चल रहे नशे के काले कारोबार का खुलासा किया है। इस जेल में बंद महिपाल उर्फ बड़ा और उसका साथी अंकित बिष्ट उर्फ अंगीदा नशा रैकेट चला रहा था। छापे के दौरान एसटीएफ ने महिपाल से मोबाइल फोन और 24 हजार रुपये बरामद किए। एसटीएफ की सात टीमों ने देहरादून समेत कई स्थानों पर छापेमारी के दौरान पांच अभियुक्तों को भी गिरफ्तार किया, जिनसे बड़ी मात्रा में चरस-गांजा मिला।

एसटीएफ के एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि यह चौथा जेल ऑपरेशन था। इस बार मादक पदार्थ के अंतरजनपदीय नेटवर्क का भंडाफोड़ किया गया। सात टीमों ने मंगलवार को अल्मोड़ा जेल, पौड़ी, कोटद्वार, देहरादून, ऋषिकेश समेत कई जगहों पर छापेमारी की। महिपाल उर्फ बड़ा निवासी जाटव बस्ती ऋषिकेश हत्या मामले में अल्मोड़ा जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।

महिपाल और साथी अंकित बिष्ट पुत्र सादर सिंह बिष्ट निवासी नींबूचौड़ कोटद्वार भी मादक पदार्थों की तस्करी में संलिप्त पाया गया। महिपाल से मोबाइल फोन, सिम, तीन एयरफोन और 24 हजार रुपये मिले। अंकित एनडीपीएस ऐक्ट में अल्मोड़ा जेल में बंद है। एसटीएफ ने ऋषिकेश से संतोष निवासी गोविंदनगर को पांच किलो गांजा, अंग्रेजी शराब की दस पेटी और 85,885 रुपये के साथ पकड़ा गया है।

पटेलनगर क्षेत्र से संतोष रावत उर्फ संतू पुत्र लक्ष्मण निवासी बड़ोवाला आरकेडिया ग्रांट को एक किलो चरस, कोटद्वार से भास्कर नेगी पुत्र सदर सिंह नेगी निवासी नींबूचौड़ को 465 ग्राम चरस और 40,810 रुपये नगद बरामद किए। इसके अलावा पटेलनगर क्षेत्र से दीपक तिवारी उर्फ दीपू पुत्र डीसी तिवारी निवासी कालिका खटघरिया लोहरिया साल हल्द्वानी हाल पता क्लेमनटाउन को 250 ग्राम चरस के साथ गिरफ्तार किया गया। एसटीएफ की टीम सभी अभियुक्तों से देर शाम तक पूछताछ में जुटी थी।

STF कार्रवाई में नशा तस्करों गिरफ्तारी विवरण

1- दीपक तिवारी उर्फ दीपू पुत्र डीसी तिवारी, निवासी कालिका कॉलोनी, खटघरिया लोहारिया, हल्द्वानी.
हाल में पता देहरादून क्लिमेंनटाउन
2- संतोष रावत उर्फ संतु पुत्र लक्ष्मण निवासी बड़ोवाला आरकेडिया ग्रांट ,देहरादून।
3- भास्कर नेगी पुत्र सदर सिंह नेगी निवासी लिंबचोड़,कोटद्वार ,पौड़ी गढ़वाल।

4- संतोष पत्नी स्वर्गीय राजेश निवासी गोविंद नगर ऋषिकेश, देहरादून

5- मनीष बिष्ट उर्फ मन्नी पुत्र धन सिंह बिष्ट, निवासी बछुवावण मल्ला, गैरसैण. चमोली.

सभी गिरफ्तार तस्करों से भारी मात्रा में चरस, गांजा जैसे अन्य ड्रग्स बरामद किए गए हैं।

बड़ा सवाल जेल प्रशासन पर खड़ा हो रहा है कि क्या उनकी इस पर नजर नहीं पड़ी। सवाल खडे किए जा रहे हैं कि क्या ये सब जेल प्रशासन की मिलीभगत के बिन संभव है? आखिर कौन अंदर का आदमी है जो अपराधियों से मिला है और क्राइम की आड़ में मोटा पैसा कमा रहा है। क्योंकि ये बात सामने आई है कि पुलिसकर्मी के ड्राइवर सिपाही के खाते में रकम ट्रांसफर की गई थी जिसकी जांच जारी है। पुलिसकर्मी को सस्पेंड किया गया है। आखिर जेल के अंदर से नेटवर्क चलाने में अपराधियों का कौन साथ दे रहा है?

The post उत्तराखंड के जेलों से ऑपरेट हो रहा क्राइम नेटवर्क, कोई दे रहा सुपारी-कोई चला रहा नशे का रैकेट, किसकी मिलीभगत? first appeared on Khabar Uttarakhand News.





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