देहरादून के चकराता में बीते दिन हुए हादसे से देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। राष्ट्रपति से लेकर पीएम मोदी ने इस हादसे पर दुख जताया और सहायता राशि देने का एलान किया। लेकिन इस हादसे में आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य सुविधाएं फेल दिखी। मंत्री जी खुद को हेलीकॉप्टर से घटना स्थल पर पहुंचे लेकिन रेस्क्यू के लिए एसडीआरएफ टीम बहुत लेट पहुंची। अगर एसडीआरएफ को एयरलिफ्ट कर मौके पर पहुंचाया जाता तो हो सकता था कई लोगों की जान बच जाती। क्योंकि कई घायलों ने तो लेट रेस्क्यू के कारण दम तोड़ दिया। शासन के मंत्री अधिकारी आए और दिलासा देकर चले गए। लेकिन किसी ने ना एयरलिफ्ट की बात कही ना कोई नाराजगी जाहिर की कि आखिर क्यों रेस्क्यू टीम लेट पहुंची।
पहांड़ों में बदहाल सड़क और स्वास्थ्य सुविधाएं
इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि पहाड़ के विकास के लिए और पहाड़ के लोगों के लिए सरकार कई दावे कर गई लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों की हालत जस की तस है। वहां ना तो सड़कें हैं और ना ही स्वास्थ्य सुविधाएं। मरीजों को सड़क तक लाने के लिए आज भी डोली का सहारा लिया जाता है। कई घंटों चढ़ाई चढ़ने के बाद मरीज को अस्पताल पहुंचाया जाता है। अब तक कई अनहोनियां इस दौरान हुईं। सरकारें आती है जाती है और सिर्फ दावे कर जाती है।
मंत्री-डीएम हेलीकॉप्टर से पहुंचे, एसडीआरएफ पहुंची लेट
हादसे की खबर सुनकर मंत्री गणेश जोशी और डीएम हेलीकॉप्टर से मौके पर पहुंचे लेकिन एसडीआरएफ टीम लेट पहुंची। रेस्क्यू टीम और घायलों के लिए एयर एंबुलेंस नहीं पहुंच सकी जिससे उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य सेवाओं पर कई सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। जानकारी मिली थी कि एसडीआरएफ को घटनास्थल पर पहुंचने में काफी देर लगी थी। रेस्क्यू टीमों को उत्तरकाशी और देहरादून से बुलाया गया था जिन्हें वहां पहुंचने में काफी देर लग गई। तब तक स्थानीय लोगों ने ही मोर्चा संभाला. अगर टीमों को एयर एंबुलेंस या एयर लिफ्ट कर मौके पर पहुंचाया जाता तो हो सकता था कइयों की जान बच जाती।
लोगों ने डंडे के सहारे शवों को बांधकर किया रिकवर
स्थानीय लोगों ने एसडीआरएफ के पहुंचने से पहले एक डंडे के सहारे शवों को बांधकर रिकवर किया और ऊपर तक लाए। लोगों ने कड़ी मशक्कत से घायलों को रेस्क्यू कर अस्पताल भेजा। इस घटना से लोगों में गुस्सा है कि जब मंत्रियों को सारी सुख सुविधा पहाड़ों में आने के लिए मिल सकती है तो घायलों को क्यों नहीं मिला और जो उन्हें बचाने आ रहे हैं उन्हें क्यों ये सुविधा नहीं मिली। अगर मिली होती तो आज कई लोग जिंदा होते और उनके घर में मातम न पसरा होता।
ताकि पलायन करने को मजबूर ना हों पहाड़ के लोग
लोगों में इसको लेकर गुस्सा है। लोगों का कहना है कि जब मंत्रियों को हेलॉकॉप्टर की सुविधा मिल सकती है तो उनको वोट देकर जिताने वाली जनता को क्यों ये सुविधा नहीं मिल सकती। अगर सफेद पोश नेताओं को हेलीकॉप्टर दिया गया तो घायलों के लिए ये सुविधा क्यों नहीं. अब तक कई सीएम आए और गए और सभी एयर एंबुलेंस का दावा कर गए कि दुर्गम क्षेत्रों में एयर एंबुलेंस की सुविधा दी जाएगी लेकिन ऐसी घोषणा और एय़र एंबुलेंस का क्या फायदा जो लोगों की जिंदगियां ना बचा सके। सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरुरत है। ताकि पहाड़ और पहाड़ के लोगों का जीवन आसान हो सके. उन्हें हर सुख सुविधा मिले जिससे वो पलायन करने को मजबूर ना हों।
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