देहरादून। स्मार्ट सिटी का नाम सुनते ही सबसे पहले मन में आता है, साफ सफाई, ऊंची इमारतें, बेहतर यातायात व्यवस्था, हरियाली, पार्क, बेहतर मोबिलिटी, एयर गुणवत्ता के साथ बेहतर सड़क और तमाम सुख सुविधाएं जो शहर को बाकी जगहों से अलग बनाती है और देश में अलग पहचान दिलाती है। ऐसी सिटी जो लोगों की नजरों को भा जाए और मुंह से निकले…वाह। ऐसी सुख सुविधाएं जो हर किसी के जीवन यापन के लिए बेहद जरुरी हैं। ऐसा एक सपना देखा सरकार ने…देहरादून को स्मार्ट बनाने का और पानी की तरह पैसे बहाए लेकिन एसडीसी फाउंडेशन की उत्तराखंड अर्बन एजेंडा-2022 की तीसरी फैक्टशीट में जो रैंकिंग देहरादून को मिली है वो निराशाजनक है। दून को टू स्टार रैंकिंग मिली है और देहरादून स्मार्ट सिटी की रैंकिंग में फिसड्डी रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि दून को स्मार्ट बनाने में 600 करोड़ से भी ज्यादा रुपये खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन फिर भी दून स्मार्ट सिटी की रैंकिंग में फिसड्डी क्यों है?

पानी की तहर बहाए करोड़ों रुपये फिर भी स्मार्ट नहीं बन सकता दून

सरकार कई बार देहरादून को स्मार्ट सिटी बनाने का दावा कर चुकी है और दावे के नाम पर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा चुकी है लेकिन फिर भी दून स्मार्ट ना बन सका। ये हम नहीं बल्कि एसडीसी की फैक्टशीट बयान कर रही है। अगर दून की हालत के बारे में बात करें तो स्मार्ट सिटी के नाम पर कई जगहों पर सड़कों को उखाड़ फेंका है। जिससे लोगों को जमकर मुसीबत का सामना करना पड़ा। आप यकीन नहीं करेंगे की देहरादून को स्मार्ट बनाने के लिए 600 करोड़ से ज्यादा रुपये पानी की तरह बहाए जा चुके हैं. विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दून शहर को स्मार्ट बनाने के लिए 600 करोड़ से ज्यादा रुपये खर्च हो चुके हैं लेकिन फिर भी देहरादून उत्तराखंड अर्बन एजेंडा-2022 की रैंकिंग में फिसड्डी रहा है।

उत्तराखंड अर्बन एजेंडा-2022 की तीसरी फैक्टशीट जारी

आपको बता दें कि चुनाव से पहले एसडीसी फाउंडेशन ने उत्तराखंड अर्बन एजेंडा-2022 की तीसरी फैक्टशीट जारी की है जिससे स्मार्ट बनाने का दावा करने वाले शहर देहरादून को लेकर निराशाजनक खबर है। दून को स्मार्ट सिटी बनाने का दावा तो सरकार ने किया और पानी की तरह रुपये भी बहाए लेकिन इस फैक्टशीट ने सारी सच्चाई बयां कर दी कि दून कितना स्मार्ट बन रहा है। तीसरी फैक्टशीट में देहरादून को टू स्टार रैंकिंग मिली है जो ये बयां करने को काफी है कि दून कितना स्मार् ट बना है। स्मार्ट बनाने के नाम पर सिर्फ पैसे खर्च किए और जमीनी हकीकत कुछ और ही दिखी।

जगह-जगह खोदी गई सड़कें बनी लोगों के लिए मुसीबत

बता दें कि उत्तराखंड अर्बन एजेंडा की ये फैक्टशीट क्लाइमेट स्मार्ट सिटीज असेसमेंट फ्रेमवर्क के परिणामों पर आधारित है। केद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा की गई विभिन्न आधार पर रैंकिंग में देहरादून को सिर्फ टू स्टार मिले हैं। यानी की दून को टू स्टार रैंकिंग मिली है। देहरादून स्मार्ट सिटी के मामले में पिछड़ गया है। देहरादून शहर को स्मार्ट करने के चक्कर में लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। जगह-जगह सड़कें खोद कर छोड़ दी गई है।

दुकानों में बरसात का पानी इस तरह से घुसता है जैसे मानों बाढ़ आ गई हो

स्मार्ट सिटी के नाम पर देहरादून के जो खस्ता हाल हुए हैं वो किसी से छुपे नहीं है। बरसात के मौसम में तो दून की हालत और खस्ता हो जाती है। पलटन की बात करें तो दुकानों में पानी इस तरह से घुसता है जैसे मानों बाढ़ आ गई हो। इतने रुपये खर्च करके भी राजधानी को स्मार्ट नहीं बनाया जा सका। दून के अलग-अलग हिस्सों में हो रहे स्मार्ट सिटी के कामों ने लोगों की मुश्किलें बढ़ी हैं. पिछले ढाई सालों से स्मार्ट सिटी के काम आज भी आधे अधूरे ही पड़े हैं. देहरादून स्मार्ट सिटी लिमिटेड के काम शुरू हुए करीब ढाई साल का समय बीत चुका है. इतने कम समय में पांच अधिकारी बतौर सीईओ स्मार्ट सिटी काम संभाल चुके हैं, लेकिन ज्यादातर योजनाओं का काम अभी भी पूरा नहीं हो पाया है. 600 करोड़ से ज्यादा खर्च होने के बाद भी देहरादून फिसड्डी है।

देशभर के 100 स्मार्ट शहरों समेत कुल 126 शहरों का मूल्यांकन किया

एसडीसी फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल का कहना है कि इस क्लाइमेट असेसमेंट के तहत केंद्र ने देशभर के 100 स्मार्ट शहरों समेत कुल 126 शहरों का मूल्यांकन किया था। उत्तराखंड से केवल देहरादून शहर को इसमें शामिल किया गया था। 5 पैरामीटर और 28 इंडीकेटर्स के आधार में मूल्यांकन करके शहरों को वन स्टार से फाइव स्टार तक रैंकिंग दी गई थी। इनमे ऊर्जा और ग्रीन बिल्डिंग, अर्बन प्लानिंग, हरियाली और जैव विविधता, मोबिलिटी और वायु गुणवत्ता समेत जल प्रबंधन और वेस्ट मैनेजमेंट शामिल थे। एसडीजी की फैस्टशीट के अनुसार पहले पायदान पर कोई भी शहर जगह नहीं बना पाया। 9 शहर अहमदाबाद, इंदौर, पिंपरी चिंचवड़, पुणे, राजकोट, सूरत, वडोदरा, विजयवाड़ा और विशाखापत्तनम को फोर स्टार रैंकिंग मिली। जबकि 22 शहरों को थ्री स्टार रैंकिंग मिली। देहरादून समेत 64 शहरों को टू स्टार रैंकिंग मिली है वहीं 31 शहरों को वन स्टार रैंक मिला। इससे साफ है देहरादून काफी पीछे हैं।

वेस्ट मैनेजमेंट पैरामीटर में देहरादून का प्रदर्शन ठीक ठाक रहा है और दून ने थ्री स्टार रैंकिंग हासिल की। एनर्जी और ग्रीन बिल्डिंग पैरामीटर में देहरादून को टू स्टार रैंकिंग मिली। अर्बन प्लानिंग, ग्रीन कवर और बायोडायवर्सिटी पैरामीटर में देहरादून को सिर्फ वन स्टार रैंकिंग मिली। मोबिलिटी और एयर क्वालिटी के साथ ही वाटर मैनेजमेंट पैरामीटर में भी सिर्फ 1 स्टार रैंकिंग ही मिल पाई। इस तरह 5 मे से 3 पैरामीटर मे देहरादून को वन स्टार रैंकिंग मिली ।

 

 

The post पानी की तहर बहाए 600 करोड़ से ज्यादा रुपये, फिर भी स्मार्ट सिटी रैंकिंग में देहरादून फिसड्डी first appeared on Khabar Uttarakhand News.





0 comments:

Post a Comment

See More

 
Top