देहरादून : सीडीएस बिपिन रावत ने उत्तराखंड और देश को बहुत कुछ दिया। देश को सुरक्षित रखा। साथ ही पौड़ी गढ़वाल समेत उत्तराखंड को कई सौगातें दी। लेकिन पौड़ी स्थित अपने पुरखों की भूमि सैंणा गांव को सड़क से जोड़ने और गांव में मकान बनाने का सपना उनका पूरा नहीं हो पाया।

आपको बता दें बिपिन रावत ने अपने भाई से जनवरी में गांव आने का वायदा किया था जो पूरा नहीं हो पाया। सीडीएस बिपिन रावत का पैतृक गांव सैंणा, पौड़ी गढ़वाल के द्वारीखाल ब्लॉक में पड़ता है। जो कोटद्वार- कांडाखाल मार्ग पर बिरमौली ग्राम पंचायत का हिस्सा है। गांव में इस समय सीडीएस रावत के चाचा भरत सिंह रावत का एक मात्र परिवार रहता है।

बिपिन रावत के चाचा भरत सिंह कोटद्वार जाने के लिए लोकल मैक्सी कैब में बैठे हुए थे। जबकि भरत सिंह के बेटे देवेंद्र रावत कोटद्वार में अपने पिता का इंतजार कर रहे थे। देवेंद्र ने एक निजी अखबार को बताया कि ‘भैजी क दगड़ कुछ दिन पैली बात ह्वे छैई, उ जनवरी म घर आण वाल छयाई। मतलब बिपिन रावत ने जनवरी में घर आना था। देवेंद्र ने बताया कि उनके गांव बिरमौली खाल से सैंणा गांव तक प्रस्तावित सड़क लंबे समय से अधर में लटकी हुई है।

गांव तक सड़क पहुंच जाए तो वो पैतृक भूमि पर घर बनाएंगे-भाई

भैजी ने कहा था कि गांव तक सड़क पहुंच जाए तो वो पैतृक भूमि पर घर बनाएंगे। लेकिन इससे पहले ही नियति ने उन्हें हमसे छीन लिया। सीडीएस रावत अप्रैल 2018 में अपनी पत्नी मधुलिका के साथ गांव आए थे। वर्तमान में गांव में देंवेंद्र के पिता भरत सिंह ओर मां सुशीला देवी ही रहती हैं। बिपिन रावत का ननिहाल उत्तरकाशी जिले के डुंडा ब्लॉक के थाती गांव में है। उनके एक मामा 1960 में उत्तरकाशी के विधायक भी रह चुके हैं।

सीएम घोषणा में शामिल थी सड़क
सीडीएस रावत के गांव सड़क न पहुंच पाने के सवाल पर क्षेत्रीय विधायक ऋतु भूषण खंडूड़ी ने बताया कि उक्त सड़क सीएम घोषणा से मंजूर हो चुकी है। लेकिन जमीन संबंधित विवाद के कारण इस पर काम शुरू नहीं हो पाया है, जिसे दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। उनका सपना था कि वो गांव के पास अस्पताल बनाए. उनका ये सपना अधूरा रह गया।

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