देहरादून: राज्य सरकार ने प्रदेश के कुछ आईपीएस अधिकारियों को केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर भेजने की तैयारी थी। बताया जा रहा है कि इसके आदेश भी तैयार हो चुके थे। लेकिन, फिर अचानक शासन ने अपना फैसला बदल दिया ओर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रोक लगा दी। प्रतिनियुक्ति में राज्य के आठ आईपीएस अधिकारी शामिल थे, जो खूब चर्चाओं में भी रहे हैं।
शासन ने गृह मंत्रालय से प्रतिनियुक्ति के लिए भेजे गए नाम वापस मांग लिए। मजेदार बात यह है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने छह अधिकारियों के प्रतिनियुक्ति को लेकर ऑफर पत्र जारी हो चुके थे। नौ दिसंबर को सचिव गृह रंजीत कुमार सिन्हा ने गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव को पत्र लिखकर इस आग्रह के साथ नामांकन वापस लिए कि शीघ्र नए नामांकन भेजे जाएंगे।
सचिव गृह ने गत आठ नवंबर को केंद्रीय गृह मंत्रालय को उत्तराखंड कैडर के आठ आईपीएस अधिकारियों के नाम केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए भेजे थे। इन अधिकारियों में 2005 बैच की आईपीएस अफसर नीरू गर्ग, मुख्तार मोहसिन, 2006 बैच के अरुण मोहन जोशी, राजीव स्वरूप, 2007 बैच के सेंथिल अबूदई कृष्णराज एस, 2008 बैच की पी. रेणुका देवी और बरिंदरजीत सिंह के नाम शामिल थे।
कहा जा रहा है कि कुछ अफसरों से उनका नाम केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाने को लेकर नहीं पूछा गया। हालांकि इस चर्चा की पुष्टि किसी जिम्मेदार अधिकारी ने नहीं की। चर्चा तो यहां तक है कि मामला आईपीएएस अफसरों को एसोसिएशन में भी उठा और अदालत जाने तक की बात हुई। ये सारी बातें संज्ञान में आने के बाद पुलिस मुख्यालय के अनुरोध पर शासन ने प्रतिनियुक्ति की प्रक्रिया को रोक दिया।
सचिव गृह आनंद वर्धन ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय से आईपीएस अफसरों के नाम मांगे गए थे। पुलिस महानिदेशक ने जो नाम भेजे, उन्हें मंत्रालय को प्रेषित किया गया। फिर पुलिस महानिदेशक ने कैडर मैनेजमेंट को सुदृढ़ करने के लिए प्रतिनियुक्ति के लिए नामांकित अधिकारियों पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। उनके अनुरोध पर शासन ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखा।
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