देहरादून: राज्य में विधानसभा चुनाव का बिगुल बच चुका है। राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों के अनुसार अब चुनावी रण में अपने सेनापतियों को उतारने की योजना बना रहे हैं। अब तक आम आदमी पार्टी और यूकेडी नामों का ऐलान कर चुकी है। लेकिन, दो सबसे बड़ी पार्टियों भाजपा और कांग्रेस ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं।

भाजपा ने विधानसभा टिकटों के ऐलान के बाद होने वाली बगावत को कम से कम करने के नई रणनीति बनाई है। पहले तो ऐसे संभावित नेताओं को ज्यादा वक्त नहीं दिया जाएगा। वहीं, टिकट की दौड़ में पीछे रह गए नेताओं को मनाने की लिए हर जिले में वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है।

टिकटों को लेकर इसबार भाजपा में ज्यादा ही उथल-पुथल मची है। सिटिंग विधायक होने के बावजूद हर विधानसभा सीट पर पांच-छह नए दावेदार चुनाव लड़ने के लिए दम भर रहे हैं। कुछ विधानसभा क्षेत्रों में तो पर्यवेक्षकों के समक्ष आठ-आठ दावेदार तक सामने आ चुके हैं। चूंकि, प्रत्येक सीट से किसी एक ही दावेदार का नाम तय होना है।

सूत्रों के अनुसार पर्यवेक्षकों के जरिए दावेदारों का पैनल मिलने के बाद पहले भाजपा स्टेट पार्लियामेंट्री बोर्ड इनका परीक्षण करेगा। इसके बाद पैनल केंद्रीय पार्लियामेंट्री बोर्ड को भेजे जाएंगे। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि नामांकन की तिथियों पर ही प्रत्याशियों का ऐलान किया जाएगा। इससे बगावत करने वाले कुछ नेताओं को अपनी तैयारियों के लिए कम मौका मिलेगा। इससे बगावत करने वालों की संख्या सीमित रहने की संभावना है।

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