देहरादून : उत्तराखंड में चुनावी माहौल है। पार्टियां प्रत्याशियों के नामों पर मंथन कर रही है। लेकिन इस चुनाव आपराधिक बैकग्राउंड वाले प्रत्याशियों की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है।। जी हां विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे प्रत्याशियों को अपने आपराधिक मामलों की जानकारी साझा करनी होगी। सभी प्रत्याशी चुनाव आयोग को एक फार्म भरकर देंगे, जिसमें उनसे संबंधित आपराधिक रिकॉर्ड का ब्योरा भी होगा। राजनीतिक दलों को भी अपनी वेबसाइट पर अपने प्रत्याशियों के यह जानकारी साझा करनी होगी।
आपको बता दें कि चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों के आपराधिक पृष्ठभूमि की जानकारी देने के संबंध में गाइडलाइन जारी की है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने बताया कि उम्मीदवारों को चुनाव अवधि के दौरान स्थानीय और राष्ट्रीय समाचार पत्रों में तीन बार अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि से जुड़े वितरण का व्यापक प्रचार-प्रसार करना होगा। रिटर्निंग ऑफिसर के स्तर से इसकी मानीटरिंग की जाएगी। जिला निर्वाचन अधिकारी इसकी रिपोर्ट संकलित करेंगे।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी के माध्यम से चुनाव आयोग को इसकी रिपोर्ट भी भेजी जाएगी। सौजन्या ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में क्रिमिनल एंटीसिडेंट्स की प्रक्रिया का सभी को अनुसरण करना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही राजनीतिक दलों को अपने प्रत्याशियों की शैक्षिक योग्यता के साथ उनकी उपलब्धियों की जानकारी भी देनी होगी।आयोग की इस व्यवस्था से दलों को प्रत्याशियों की उपलब्धियों का ब्योरा देने के लिए अच्छी-खासी मशक्कत करनी होगी। एक-दूसरे दल इस पर सिर्फ नजरें ही नहीं रखेंगे, बल्कि यह चुनाव में मुद्दे का रूप लेता दिखाई पड़ सकता है।
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