देहरादून: हरक सिंह रावत। एक ऐसा नाम, जिनकी गिनती उत्तराखंड के सबसे बड़े नेताओं में होती है। लेकिन, राजनीति के भंवर में हरक ऐसे फंसे कि अब वो मजबूर नजर आ रहे हैं। हरक के सामने एक मात्र विकल्प कांग्रेस का बचा है। स्थिति यह है कि हरक अब अपनी हनक भी नहीं दिखा पा रहे हैं। अपनी शर्तों पर राजनीति करने वाले हरक सिंह रावत का अब कांग्रेस में भी विरोध होने लगा है।
कांग्रेस में भले ही हरक सिंह रावत की एंट्री हो जाए, लेकिन कांग्रेस में उनके लिए पहले जैसा सम्मान अब नहीं है। हरक की राह में सबसे बड़ा रोड़ पूर्व सीएम हरीश रावत हैं। उन्होंने कहा भी है कि हरक कि वापसी में उनकी कोई भूमिका नहीं है और ना वो कोई फैसला लेने वाले हैं। फैसला, केवल प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और कांग्रेस आलाकमान को लेना है।
इधर, हरक की ज्वाइनिंग का कांग्रेस में विरोध भी दिख रहा है। माना जा रहा है कि हरक के शामिल होने के बाद विरोध और गुटबाजी खुलकर सामने आ जाएगी। कांग्रेस में कई बड़े नेता हैं, जो हरक को पसंद करते हैं। लेकिन, ऐसे नोताओं की लिस्ट भी लंबी है, जो हरक के आने से खुश नहीं हैं।
हरक के ज्वाइन करने से पहले केदारनाथ विधायक मनोज रावत साफ कर चुके हैं कि उनके लिए हरक सिंह रावत हमेशा ही लोकतंत्र के हत्यारे रहेंगे। प्रदीप टम्टा भी हरक की वापसी का विरोध कर चुके हैं। उनके अलावा कई दूसरे नेता हरक की एंट्री का विरोध कर रहे हैं।
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