देहरादून: यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्र बुरे दौर से गुजर रहे हैं। एक छात्र के पिता का कहना है कि रोज नई सूचना जारी होने और एंबेसी की ओर से सहयोग नहीं मिलने के कारण कई छात्र पोलैंड बॉर्डर की तरफ पैदल चलने को मजबूर हैं। इतना ही नहीं, वहां पहुंचने के बाद उनको वापस लौटा दिया गया।

6 डिग्री माइनस तापमान में कई किमी पैदल चलने से उनका सब्र जवाब देने लगा है। दो दिन से खाने के लिए केवल चिप्स और पानी की ही व्यवस्था हो पाई है। रुड़की के आर्यन चौधरी यूक्रेन की अलीव इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। युद्ध छिड़ने के बाद अन्य छात्रों की ही तरह वह भी यूक्रेन में फंसे हैं।

आर्यन के पिता अजय चौधरी का कहना है कि एक दिन पहले एंबेसी की ओर से बेटे को सूचना दी गई थी कि हॉस्टल छोड़कर पोलैंड बॉर्डर पर पहुंचें। यहां से उन्हें भारतीय अधिकारियों की मदद से भारत लाया जाएगा। शनिवार को आर्यन समेत भारत के 15 छात्र कैब के जरिये पोलैंड के लिए रवाना हुए। 70 किमी के सफर के बाद गाड़ियों का लंबा जाम और हजारों लोगों के बॉर्डर पहुंचने के कारण कार फंस गई।

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