देहरादून: पिछले पांच में भजपा ने तीन मुख्यमंत्री बदले। तीनों ही मुख्यमंत्रियों ने हजारों दावे किए। घोषणाएं की। पौने चार साल त्रिवेंद्र ने राज किया। उनके राज को देहरादून से दिल्ली तक सराहा गया। लेकिन, कार्यकाल के चार साल पूरा होने के कुछ दिन पहले उनको कुर्सी से हटा दिया गया। त्रिवेंद्र आज तक नहीं समझ पाए कि उनको क्यों हटाया गया। उसके बाद एक और सीएम तीरथ सिंह रावत के रूप में थोप दिए गए। कुछ दिन में ही उनको भी कुर्सी से बेदखल कर दिया गया।
तीरथ सिंह रावत ने आते ही बड़े-बड़े ऐलान किए, लेकिन वो चर्चाओं में अपने बयानों के कारण रहे। फिर बारी आई युवा सीएम पुष्कर सिंह धामी की। जिस दिन से कुर्सी संभाली, ताबड़तोड़ दौरे, बड़ी-बड़ी घोषणाएं। बड़े-बड़े दावे। पांच सौ से ज्यादा फैसले लेने की बातें। लेकिन, जैसे ही चुनाव आया। ना तो भाजपा को अपनी सरकार का कोई काम याद आ रहा है और ना पिछले पांच साल के दावे और वादे।
भाजपा सरकार ने इन्वेस्टर समित कराई। इन्वेस्टमेंट के नाम पर 12 हजार करोड़ के एमओयू साइन करने के दावे किए गए। चुनाव में उसकी भी कोई चर्चा नहीं हो रही। चुनाव से पहले 7 लाख लोगों को रोजगार देने के आंकड़े पेश किए जा रहे थे, लेकिन अब चुनाव में रोजगार की चर्चा तक नहीं हो रही है। इससे एक बात तो साफ है कि पिछले पांच सालों में सरकार ने केवल घोषणाएं और हवाई दावे किए थे।
The post पांच साल, तीन-तीन मुख्यमंत्री, हजारों दावे, फिर अल्लाहू अकबर पर क्यों अटक गई BJP ? first appeared on Khabar Uttarakhand News.
0 comments:
Post a Comment