देहरादून : उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले कांग्रेस औऱ भाजपा में शामिल हुए कई नेताओं की किसमत चमकी तो कईयों की नैया डूब गई। हरक सिंह रावत और अनूकृति गुसांई ने भी कुछ दिन पहले कांग्रेस ज्वॉइन की। यशपाल आर्य और उनके बेटे ने भी कांग्रेस ज्वाइन की। यशपाल आर्य जीत गए और संजीव आर्य हार गए। हरक की बहू अनूकृति गुसांई को लैंसडाउन सीट से हार का सामना करना पड़ा। हरक सिंह रावत का मन दुखी जरुर है क्योंकि वो खुद भी चुनाव नहीं लड़ सके और बहू भी चुनाव हार गई। हो सकता है कि अगर वो भाजपा में ही होते और चुनाव लड़े होते तो चुनाव जीते होते और विधायक होते।
वहीं चुनाव के नतीजे के बाद पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि उन्हें इस बात का दुख है कि भाजपा ने उनका पक्ष जानने की कोशिश नहीं की। कहा कि मैंने भाजपा नहीं छोड़ी थी, मुझे अचानक हटाया गया। हरक ने कहा कि अगर एक बार मुझसे पूछ लेते कि सच क्या है तब फैसला लेते तो कोई बात नहीं होती। हरक ने कहा कि ब्लाक स्तर पर मजबूत सांगठनिक ढांचा न होने से कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा है। अब कांग्रेस संगठन को ग्राम स्तर तक मजबूत बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
हरक सिंह रावत ने कहा कि जब वह भाजपा में थे तो अक्सर ये बात उड़ाई जाती थी कि वे कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। पूर्व मंत्री यशपाल आर्य ने जब अपने बेटे समेत कांग्रेस में वापसी की तो भाजपा नेतृत्व को लगा कि वह भी ऐसा कर सकते हैं। भाजपा ने मीडिया में चली ऐसी खबरों का संज्ञान तो लिया, लेकिन उनका पक्ष नहीं सुना। उन्होंने कहा कि वो पहले ही फैसला ले चुके थे कि वो भाजपा नहीं छोड़ेंगे, अगर ऐसा करना होता तो पहले ही कर लेते।
हरक ने कहा कि भाजपा में रहने के दौरान पीएम, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें हमेशा सम्मान दिया। यही वजह भी रही कि कांग्रेस में शामिल होने के बाद चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के प्रति एक शब्द भी नहीं कहा। केवल प्रदेश सरकार की नीतियों के विरुद्ध हमला बोला। हरक ने कहा कि यदि कांग्रेस का ब्लाक स्तर पर मजबूत संगठन होता तो विधानसभा चुनाव के परिणाम कुछ और होते। उन्होंने कहा कि भाजपा के झंडे गांव-गांव लगे थे। मजबूत सांगठनिक ढांचा और मोदी की वजह से भाजपा को जीत मिली। चुनाव में भाजपा व प्रदेश सरकार कहीं नहीं थी। लोग सिर्फ मोदी को देख रहे थे.
हरक ने कहा कि वह राजनीति में हैं तो चुप नहीं बैठेंगे। कांग्रेस के सांगठनिक ढांचे को मजबूत करने पर जोर देंगे। क्या भविष्य में लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, इस पर उन्होंने कहा कि देखते हैं, आगे क्या होता है। कांग्रेस हाई हाईकमान जो भी निर्णय लेगा, वह उसके अनुरूप कार्य करेंगे।
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