देहरादून : बीती देर शाम कांग्रेस ने मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने की मांग का मुद्दा उठाने के साथ ही अनर्गल बयानबाजी करने वाले नेता अकिल अहमद को अनुशासनहीनता पर छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। कहा जा रहा है कि अगर चुनाव से पहले ये कदम उठाया जाता तो हो सकता था चुनाव का परिणाम कुछ और ही होता। बता दें कि बीती देर शाम कांग्रेस के महासचिव संगठन मथुरादत्त जोशी की ओर से अकील अहमद के निष्कासन का पत्र जारी किया गया। इसमे अकील की बयानबाजी से कांग्रेस की छवि धूमिल होने का आरोप लगाया गया है।
वहीं अब अपने निष्कासन से कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद भड़क गए हैं और उन्होंने फिर से एक और बयान दिया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में अब तो मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनकर रहेगी। चाहे इसके लिए समाज के लोगों से चंदा इकट्ठा करना पड़े। भड़कते हुए अकील अहमद ने कहा कि वह इसी मुद्दे पर हरिद्वार लोकसभा से टिकट की मांग करेंगे। पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे।
इतना ही नहीं अकील अहमद ने हरीश रावत को भी जवाब दिया है। अकील ने कहा कि उन्हें हरीश रावत की बेटी को हराने नहीं जिताने का काम किया। उन्होंने कहा कि 2017 के चुनाव में तो उन्होंने कोई बयान नहीं दिया था, तब कांग्रेस क्यों हारी? तत्कालीन मुख्यमंत्री दो-दो सीटों से पराजित कैसे हो गए?  कहा कि यह बात भी सही है कि उनकी इस संबंध में चुनाव से पूर्व हरीश रावत से कोई बात नहीं हुई थी। मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मांग अन्य मांगों की तरह ही एक सामान्य मांग थी, लेकिन भाजपा ने इसे मुद्दा बनाकर चुनाव मेें वोटों का ध्रुवीकरण कर दिया। इस मुद्दे के कारण कांग्रेस नहीं हारी। बड़े नेता अपनी कमियां छुपाने के लिए हार का ठीकरा उनके सिर फोड़ रहे हैं।  अकील अहमद ने कहा कि अभी भी उनकी वहीं मांग है।

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