देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड में सत्ता का खेल दलबदल की राजनीति पर आकर टिक गया है। चुनाव के दौरान दलबदल का ये खेल भाजपा-कांग्रेस के नेता खेलते हैं। सियासी गुणा-भाग में माहिर नेता चुनावी माहौल को भांपकर फैसला लेते हैं। बड़ी बात यह है कि अब तक दलबदल के इस खेल में दलबदलुओं को ही सत्तास का फल मिलता आया है। हालांकि, इस बार हरक सिंह रावत के हाथ खाली रह गए और यशपाल आर्य के बेटे संजीव को भी जनता ने दरकिनार कर दिया।

दलबदल की इस राजनीति के कई उदाहरण हैं, जिन्होंने दल बदला और सत्ता हासिल की। हरीश रावत सरकार में बागी हुए कांग्रेसी हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, रेखा आर्य, यशपाल आर्य, सतपाल महाराज, उमेश शर्मा काऊ, प्रवण सिंह समेत जिन भी नेताओं ने भाजपा का दामन थामा था, उनको राजयोग मिला। 2016 में हरीश रावत सरकार गिराने के बाद, हालांकि हरदा अपनी सरकार बचाने में सफल रहे। लेकिन, 2017 के चुनाव में कांग्रेस से बगावत करने वाले सभी बागी नेताओं को फिर कुर्सी पर बिठा दिया। कुछ इनमें से कैबिनेट मंत्री भी बने।

इस बार यानी 2022 के विधानसभा चुनाव में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने भाजपा का दामन थामा और जीत हासिल की। महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्या भी अब सत्ता सुख भोग रही हैं। रामसिंह कैड़ा कांग्रेस छोड़ निर्दलीय चुनाव जीते थे, लेकिन 2022 में वो भी भाजपाई हो गए और अब सत्ता में हैं।

इस चुनाव में यशपाल आर्य फिर भाजपा छोड़ कांग्रेस के शामिल हो गए। उनका राजयोग बरकरार रहा। कांग्रेस ने उनको अब नेता प्रतिपक्ष भी बना दिया है। लेकिन, उनके बेटे के हिस्से का राजयोग दल बदलकर कर भाजपा में शामिल हुई सरीता आर्य के हिस्से चला गया।

इस पूरे दलबदल के खेल में पहली बार ऐसा हुआ कि हरक सिंह रावत सत्ता से पूरी तरह से बेदखल हो गए हैं। हरक सिंह खुद चुनाव नहीं लड़े थे, लेकिन कांग्रेस में शामिल होने के बाद उनकी बहू अनुकृति गुसांई को टिकट दिया। पूरा जोर लगाने के बाद भी जीत हासिल नहीं हुई। हरक ने भी माना के उनके राजनीतिक जीवन में उनका अनुमान पहली बार गलत साबित हुआ है।

The post उत्तराखंड : इनके हिस्से आता है राजयोग, पढ़ें ये खास रिपोर्ट first appeared on Khabar Uttarakhand News.





0 comments:

Post a Comment

See More

 
Top