जहां एक ओर देश के कई राज्यों में सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए लोग अपनी आवाज शासन प्रशासन तक पहुंचाते हैं वहीं उत्तराखंड में पुलिस के मुखिया का आधिकारिक ट्वीटर हैंडल ही नहीं क्रिएट किया गया है। हालात ये हैं कि मौजूदा डीजीपी के व्यक्तिगत ट्विटर अकाउंट को ही राज्य के डीजीपी के अकाउंट के तौर पर संचालित किया जा रहा है।
लोग सर्च क्या करते हैं?
आम तौर पर अगर किसी को ट्विटर पर किसी बड़े आधिकारिक ट्विटर हैंडल को कुछ कहना हो तो वो उसी नाम से सर्च करता है नाकि उस पद पर बैठे शख्स के नाम से। उदाहरण के तौर पर अगर आपको यूपी के डीजीपी का ट्विटर हैंडल देखना हो तो आप सर्च बार में DGP UP ही सर्च करेंगे। ऐसे ही अन्य ट्विटर हैंडल्स के साथ भी होगा। जैसे अगर आपको उत्तराखंड के मुख्यमंत्री का ट्विटर हैंडल सर्च करना होगा तो आप CM OF UTTARAKHAND या CHIEF MINISTER OF UTTARAKHAND सर्च करेंगे और आपको संबंधित आधिकारिक अकाउंट मिल जाएगा। लेकिन यही काम अगर आप उत्तराखंड पुलिस के मुखिया के आधिकारिक अकाउंट तलाशने के लिए करेंगे तो आपको निराशा हाथ लगेगी।
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इस संबंध में पुलिस अधिकारियों से हुई बातचीत में भी इस बात की पुष्टि हुई है कि उत्तराखंड पुलिस के मुखिया पद का आधिकारिक ट्विटर हैंडल नहीं क्रिएट किया गया है। उसकी जगह मौजूदा डीजीपी अशोक कुमार का ही ट्विटर हैंडल चल रहा है।
अब ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है क्योंकि अगर किसी ऐसे शख्स को उत्तराखंड के डीजीपी तक अपनी बात पहुंचानी हो जिसे यहां के डीजीपी के नाम का न पता हो तो उसे पहले डीजीपी के नाम का पता लगाना होगा फिर उसके बाद ही ट्विटर पर उन तक अपनी बात पहुंचा पाएगा।
सवाल ये भी है कि क्या ट्विटर पर उत्तराखंड के डीजीपी के नाम से आधिकारिक अकाउंट होने से सूचनाओं का प्रवाह और अच्छा हो सकता है? सामान्य परिस्थितियों में बेहतर पुलिसिंग के लिए पुलिस के राज्य मुखिया के नाम का आधिकारिक ट्विटर हैंडल अवश्य ही सूचनाओं के आदान प्रदान को और बेहतर करेगा।
अब देखना ये होगा कि उत्तराखंड पुलिस के मुखिया के नाम से ट्विटर हैंडल क्रिएट करती है फिर मौजूदा व्यवस्था पर ही भरोसा करती है।
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