उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारियों का तबादला हमेशा से एक अबूझ पहेली सा रहा है। कभी इसमें सिंडिकेट के आरोप लगते हैं तो कभी ‘सेटिंग’ न होने पर योग्य को भी अयोग्य होते दिखते हैं। अगर सरकार में कोई अपना ‘ठीकठाक’ पहुंच रखता हो तो एक्ट दरकिनार करके भी उसे देहरादून में रखा जा सकता है।
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फिलहाल तबादलों के मामले में नया ये है कि तबादला एक्ट के अंतर्गत आने वाले कुल कार्मिकों की जगह इस बार सिर्फ 15 फीसदी पदों पर ही तबादले करने की तैयारी है। कुछ विभाग नहीं चाहते हैं कि 15 फीसदी से अधिक पदों पर तबादले हों। विभागों ने बकायदा इस संबंध में कार्मिक विभाग को फाइल सौंपी और अब कार्मिक विभाग इस फाइल को सीएम के पास भेज चुका है।
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दिलचस्प ये है कि तबादला एक्ट के तहत दो साल के बाद तबादले हों रहें हैं लेकिन इसके पहले ही इसमें पेंच फंस गया है। सरकार चाहती है कि सभी के तबादले कर दें लेकिन विभाग नहीं चाहते हैं विभागों का अपना तर्क है। कुछ विभागों ने वित्तीय स्थिती का हवाला दिया है। मीडिया में प्रकाशित एक समाचार के अनुसार कुछ विभागों ने कार्मिक विभाग से अनुरोध किया है कि सिर्फ 15 फीसदी पदों पर ही तबादले किए जाएं। माना जा रहा कि सीएम जैसे ही इस फाइल पर अनुमोदन देते हैं उसके तुरंत बाद शासनादेश जारी कर दिया जाएगा।
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