
पिछले पांच सालों से राज्य में चल रहा डबल इंजन गांवों तक सड़क पहुंचाने में हांफ गया है। ऐसा इसलिए कह रहें हैं क्योंकि फिर एक बार गर्भवती को सुरक्षित प्रसव के लिए कई किलोमीटर का पैदल सफर करना पड़ा। गर्भवती के गांव में पक्की सड़क ही नहीं है।
ये पूरा वाक्या चंबा टिहरी में जौनपुर विकास खंड के गोठ गांव का है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गोठ गांव की एक महिला अंजू देवी गर्भवती थीं। 22 जून की रात तकरीबन 10 बजे उनकी तबियत बिगड़ी। चूंकि गांव में सड़क ही नहीं है लिहाजा खच्चर के इंतजाम की कोशिश की गई लेकिन अंजू के पति सोमवारी लाल गौड़ की कोशिश के बावजूद रात में खच्चर नहीं मिल पाया।
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लिहाजा अंजू को रात 11 बजे उनके पति पैदल ही लेकर निकले। लेकिन प्रसव पीड़ा से कराहती अंजू के लिए पैदल चलना मुश्किल था। अंजू किसी तरह से सुबह पांच बजे के आसपास ढाई किलोमीटर की पैदल दूरी नाप कर सड़क पर पहुंची। इसके बाद उनके पति ने टैक्सी करके उन्हे मसूरी अस्पताल पहुंचाया। वहां अंजू ने एक बेटे को जन्म दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार मां और बेटे दोनों स्वस्थ हैं।
वहीं दिलचस्प ये है कि कागजों में इस गांव में सड़क पहुंच चुकी है। ग्रामीणों ने इस गांव में सड़क बनवाने के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों के चौखट पर दस्तक दी। फाइल आगे बढ़ी तो प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सड़क बनवाने के लिए सर्वे कराया गया है। सर्वे में हैरान करने वाला खुलासा हुआ। सर्वे में पता चला कि ये गांव सड़क मार्ग से कनेक्ट दिखाया गया है। अब चूंकि कागजों में गांव सड़क से कनेक्ट है लिहाजा उसका प्रस्ताव ही नहीं बनाया गया।
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