class without students

 

उत्तराखंड में शिक्षा महकमे का गजब हाल है। ये महकमा हमेशा से अपनी कार्यशैली को लेकर चर्चाओं में रहता है। अब एक और ताजा वाक्या सामने आया है। राज्य में कई ऐसे टीचर हैं जो बिना शून्य छात्र संख्या वाले स्कूलों में वर्षों से जा रहें हैं।

जी, ये खुलासा सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। आप ये सोचने पर विवश हो जाएंगे कि आखिर शिक्षा महकमा कैसे काम करता है? इस विभाग के अधिकारी आखिर क्या करते हैं?

चलिए आपको बताते हैं कि ये पूरा माजरा है क्या। दरअसल उत्तराखंड में पिछले कुछ सालों में कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को या तो बंद कर दिया गया या फिर उनके छात्रों को किसी अन्य स्कूल में समायोजित कर दिया गया। ऐसे में कई शिक्षक भी समायोजित किए जाने थे। लेकिन विभागीय लापरवाही देखिए कि छात्रों को समायोजित कर दिया और शिक्षकों को समायोजित नहीं किया। इसका नतीजा ये है कि जहां कोई छात्र नहीं है वहां भी शिक्षक रोज जा रहा है।

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गढ़वाल मंडल में शून्य छात्र संख्या वाले 16 विद्यालयों में तैनात 15 टीचर्स ऐसे हैं जो रोज सुबह स्कूल जाते हैं। शाम तक स्कूल की दीवारें देखते हैं और फिर घर वापस आ जाते हैं। ऐसा कई साल से चल रहा है। हैरानी ये है कि ये शिक्षक खुद ही विभाग से कह रहें हैं कि उन्हें किसी अन्य स्कूल में समायोजित कर दिया जाए जहां वो बच्चों को पढ़ा सकें लेकिन विभाग है कि सुनता ही नहीं। ये सभी टीचर्स लगभग तीन सालों से बिना पढ़ाए ही अपनी सेलरी ले रहें हैं। हालांकि इसमें उनकी कोई गलती नहीं मानी जा सकती है।

पूरे विभाग की कार्यशैली को ऐसे समझिए कि शिक्षा महानिदेशक ने ऐसे शिक्षकों को तत्काल अन्य विद्यालयों में समायोजित करने के आदेश तक जारी किए लेकिन अधीनस्थ अधिकारी हैं कि अपने उच्चाधिकारी का कहना भी नहीं मानते।

The post हैरानी। वर्षों से बिना स्टूडेंट वाले स्कूलों में नौकरी कर रहे कई टीचर्स first appeared on Khabar Uttarakhand News.





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