mahendra bhatt with nadda

 

उत्तराखंड बीजेपी की कमान अब महेंद्र भट्ट (Mahendra Bhatt) के हाथों में है। सबकुछ ठीक रहा तो महेंद्र भट्ट को 2024 के लोकसभा चुनावों की वैतरणी अपने ही नेतृत्व में बीजेपी को पार करानी होगी। महेंद्र भट्ट के लिए ये एक बड़ा लक्ष्य हो सकता है। ऐसे में इस बात से इंकार नहीं है कि उनके सामने चुनौतियां होंगी।

महेंद्र भट्ट को लाने और मदन कौशिक को हटाने के पीछे बीजेपी ने क्या कारण चुना उसे लेकर तमाम चर्चाएं हो रहीं हैं। हालांकि सबसे अहम चर्चा हरिद्वार में पिछले कुछ सालों में बीजेपी की अंदरूनी राजनीति को लेकर हो रही है। माना जा रहा है कि हरिद्वार में पिछले कुछ सालों में मदन कौशिक गुट को लेकर बीजेपी में अंदर ही अंदर असंतोष पनपा था। कई ऐसे नेता थे जो मदन कौशिक की कार्यशैली से खुश नहीं थे।

वहीं मदन कौशिक का पहाड़ों से न होना भी एक बड़ा कारण हो सकता है। हाल ही में बीते विधानसभा चुनावों में बीजेपी को पहाड़ों पर कांग्रेस से चुनौती मिली है। बीजेपी चुनावों में जीती जरूर है लेकिन उसकी सीटें कम हुईं हैं। यही नहींं पहाड़ों की कई ऐसी सीटें हैं जहां बीजेपी के नेताओं को कांग्रेस ने जबरदस्त टक्कर मिली है। मसलन गढ़वाल में धन सिंह रावत को कैबिनेट मंत्री रहते हुए भी चुनाव जीतना मुश्किल हो गया था। इसी तरह से खुद मुख्यमंत्री धामी अपना चुनाव हार गए थे। ऐसे में बहुत संभव है कि बीजेपी ने मदन कौशिक को इसी वजह से हटाया हो।

बड़ी खबर। उत्तराखंड बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बने महेंद्र भट्ट, मदन कौशिक की छुट्टी

हालांकि दिलचस्प ये है है कि हरिद्वार में पंचायत चुनाव होने वाले हैं। मदन कौशिक (Madan Kaushik) हरिद्वार से ही आते हैं। हाल ही में संपन्न कैबिनेट में भी चुनावों को लेकर सहमति बनी है। ऐसे में ऐसे प्रदेश अध्यक्ष को जो उसी इलाके से आता हो जहां चुनाव होना है, पद से हटाए जाने की वजह समझना मुश्किल है।

फिलहाल महेंद्र भट्ट के सामने अब सरकार और संगठन की कदम ताल को एक लय में बनाए रखने की चुनौती होगी वहीं संगठन में कुछ और बदलावों से इंकार नहीं कर सकते हैं।

महेंद्र भट्ट बीजेपी के पुराने चावल माने जाते हैं। रामजन्म भूमि आंदोलन से लेकर राज्य आंदोलन तक अपनी सक्रियता रखने वाले महेंद्र भट्ट जन्म भूमि आंदोलन में जेल भी जा चुके हैं। दो बार के विधायक महेंद्र भट्ट के लिए बीजेपी की राजनीति को समझना आसान है। वो कई अहम पदों पर संगठन को अपनी सेवाएं दे सकते हैं। महेंद्र भट्ट राज्य मंत्री का पद भी संभाल चुके हैं।

महेंद्र भट्ट को सीधा सपाट बोलने और सुनने के लिए भी जाना जाता है। संगठन के लक्ष्यों और रास्तों को बेहतर तरीके से समझने वाले महेंद्र भट्ट के तेवर किसी भी पार्टी के अध्यक्ष के लिए बेहतर ही माने जा सकते हैं। अब बड़ा सवाल ये भी होगा कि महेंद्र भट्ट के ये तेवर कितने कारगर होते हैं।

महेंद्र भट्ट के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद अब गैरसैंण को लेकर एक नयी चर्चा शुरु हो सकती है। दरअसल महेंद्र भट्ट गैरसैंण को अलग जिला बनाने के पक्षधर रहें हैं। इसके लिए उन्होंने सीएम को एक पत्र भी लिखा था। वो इस संबंध में बयान भी दे चुके हैं।

वहीं महेंद्र भट्ट की छवि एक हिंदूवादी नेता के तौर पर रही है। अपनी सोशल मीडिया पर मौजूदगी में भी वो अपनी हिंदूवादी नेता के तौर पर दर्ज कराते रहें हैं। महेंद्र भट्ट ने एक बार अपनी सोशल मीडिया पोस्ट पर कुछ यूं लिखा था –

महेंद्र भट्ट की फेसबुक वॉल का स्क्रीनशॉट
महेंद्र भट्ट की फेसबुक वॉल का स्क्रीनशॉट

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