एक साल में एक ही इलाके में दो टूटे पुलों का निरीक्षण करने का सौभाग्य पाने वाले शायद पुष्कर सिंह धामी राज्य के पहले मुख्यमंत्री होंगे। जी, इतिहास खंगालिए और देखिए कि लगभग दर्जन भर होने जा रहे मुख्यमंत्रियों की लिस्ट में ऐसा कौन सा मुख्यमंत्री है जो पूरे सूबे के सबसे बड़े पॉवर सेंटर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर बने दो पुलों के टूटने पर निरीक्षण करने पहुंचा होगा। हमें यकीन है कि ऐसा कोई मुख्यमंत्री आपको नहीं मिलेगा।
राज्य में पुलों का बनना और कुछ सालों में उसका बह जाना मानों आम बात होती जा रही है। हम आगे बढ़े इससे पहले आपको याद दिला दें कि इसी इलाके में कुछ दूरी पर बने रानीपोखरी का पुल भी एक साल पहले आए नदी के सैलाब में बह गया था। वो तारीख 27 अगस्त की थी और मुख्यमंत्री के तौर पर पुष्कर सिंह धामी पद संभाल चुके थे। पुल टूटने के बाद सीएम धामी मौके पर पहुंचे थे और हालात का जाएजा लिया था।
उस वक्त ये खबरें सामने आईं कि नदी में हो रहा अवैध खनन पुलों के पिलर तक पहुंच गया और उसे खोखला कर गया। इसी के चलते पुल का बड़ा हिस्सा टूट गया। अब एक साल पूरा होने से पहले ही इसी इलाके में एक और पुल का हिस्सा पानी में बह गया। हालांकि ये जांच का विषय है लेकिन कम से कम इतना तो पूछा ही जा सकता है कि इस राज्य में पुलों की उम्र कितनी है। इस राज्य के जिम्मेदार अफसर, राजनेता, ठेकेदारों के नेटवर्क में फंसी जनता ये जानना चाहेगी कि इस राज्य के लोगों की गाढ़ी कमाई से बनने वाली सड़कों, पुलों की उम्र कितनी आंकी गई है।
देहरादून में बादल फटा, पुल बहा, अलर्ट
क्या कोई ये बता पाएगा कि कमीशनखोरी का कीड़ा किन किन पुलों के पिलर्स को खोखला बना रहा है? वो कौन सा अधिकारी होगा? वो कौन सा विधायक होगा? वो कौन सी सरकार होगी जो इन पुलों के टूटने की जिम्मेदारी लेगी? क्या कोई ये भी बता पाएगा कि बारिश में बह जाने वाले पुलों के निर्माण की महारथ रखने वाले विभागों के अधिकारियों को मेहरबानी की वजह क्या होती होगी?
सोचिए कि राजधानी के आउटर इलाकों में बने पुलों की ये हालत है तो दूर पहाड़ों में किस स्तर का काम हो रहा होगा? कब कौन सा पुल गिर जाए, कब कौन सा मार्ग बाधित हो जाए ये कोई नहीं जानता। मॉनसून के मौसम में अगर आप उत्तराखंड की सड़कों पर निकल रहें हैं तो अधिकारियों, भ्रष्ट नेताओं, लाचार सिस्टम की मेहरबानी से जान हथेली पर रख कर निकलिए। यही इस राज्य का सच है।
The post एक साल में दो टूटे पुलों के निरीक्षण का सौभाग्य सीएम धामी को मिला! first appeared on Khabar Uttarakhand News.
WHEN CONTRACTOR IS MADARCHOD BANIA/MARWARI/JAIN/GUJARATI AND LABOR IS NEPALI MADARCHOD,AND PWD ENGINEER IS SANSKRIT/HINDI MEDIUM GADWALI ENGINEER - THIS IS WHAT HAPPENS !
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