पुष्कर सिंह धामी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति अपनाए हुए है। इसी के तहत अब एक और अधिकारी विजिलेंस के निशाने पर आ गया है। हालात ये हैं कि सेवानिवृत्त अधिकारियों को भी नहीं बख्शा जा रहा है।

विजिलेंस ने वन विभाग के पूर्व उप वन संरक्षक किशनचंद समेत कई अधिकारियों और कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज किया है। ये मुकदमा टाइगर सफारी निर्माण में बिना स्वीकृति सरकारी पैसा खर्च करने के आरोप में जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश होने के बाद की गई है।

किशनचंद के ऊपर कई संगीन आरोप लगे हैं। इसके साथ ही किशनचंद ने वन विभाग की नौकरी के दौरान आय से अधिक संपत्ति भी दर्ज की है। विजिलेंस ने इस संबंध में बकायदा रिपोर्ट तैयार कर ली है।

विजलेंस के एडीजी अमित सिन्हा ने बताया कि सरकार से अनुमति मिलने के बाद आईएफएस किशन चंद और उनके साथ अन्य वन अधिकारियों के खिलाफ विजिलेंस विभाग ने एफआईआर दर्ज कर ली है। इन सभी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दर्ज किए गए हैं। इन मामलों की जांच विभाग ने की थी।

जिम कार्बेट के पाखरो रेंज में टाइगर सफारी बनाई जानी थी। वन विभाग के अधिकारियों ने पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट बता कर इस प्रोजेक्ट के लिए बिना वित्तीय स्वीकृति के सरकारी धन को ठिकाने लगा दिया। इसके लिए अवैध रूप से खूब पेड़ भी काटे गए। बाद में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने नोटिस दिया। अधिकारियों से जवाब तलब हुआ तब कहीं जाकर इस पूरे गोरखधंधे का खुलासा हुआ।

इस फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद राज्य के दो बड़े आईएफएस अधिकारियों का ट्रांसपर किया गया। कार्बेट के डायरेक्टर राहुल को मुख्यालय से अटैच कर दिया गया जबकि आईएफएस सुहाग को सस्पेंड किया गया था।

सरकार बदलने के साथ माना जा रहा था कि मामला ठंडा पड़ जाएगा लेकिन सीएम धामी ने सख्त रवैया अपनाए रखा और विजिलेंस से जांच कराई। वन विभाग के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाए जाने पर आखिरकार सरकार ने मुकदमा दर्ज करने की अनुमति दे दी। हालांकि अभी आईएफएस सुहाग और आईएफएस राहुल के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि जल्द ही विजिलेंस इनपर भी मुकदमा दर्ज कर सकती है।

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