देश के रक्षा मंत्री और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव और उत्तराखंड का नाता बेहद तल्खी भरा रहा। मुलायम सिंह यादव पृथक उत्तराखंड नहीं चाहते थे। उनकी पार्टी की नीतियों में राज्यों का बंटवारा स्वीकार्य नहीं है। इसी नीति के तहत वो पृथक उत्तराखंड के भी विरोधी रहे। यही वजह रही कि उनके मुख्यमंत्रित्तव काल में उत्तराखंड के आंदोलनकारियों को कड़ा संघर्ष करना पड़ा और कई लोगों को अपनी शहादत भी देनी पड़ी।
मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए 27 साल पहले 2 अक्टूबर 1994 को उत्तराखंड के आंदोलनकारियों पर गोली चला दी गई थी। इस गोलीबारी में 7 आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी।
दरअसल अलग राज्य की मांग की एक बड़ी वजह मंडल कमीशन भी थी। मंडल कमीशन के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को 27 फीसदी आरक्षण दिया गया। इससे पहाड़ के लोगों को लगा कि 27 फीसदी आरक्षण के चलते उनकी नौकरियों पर मैदानी इलाकों के लोग कब्जा कर लेंगे।

मुलायम सिंह यादव के लिए उत्तराखंड के लोगों के मन में विरोध की ज्वाला लगातार तेज होती जा रही थी। अलग पहाड़ी राज्य की मांग कर रहे लोगों पर खटीमा में गोलियां बरसा दी गईं। ये घटना 1 सितंबर 1994 को हुई। खटीमा में आंदोलन कर रहे आंदोलनकारियों को हटाने के लिए मुलायम सरकार सशस्त्र कार्रवाई के आदेश दे दिए। खटीमा में इन आंदोलनकारियों पर गोलियां बरसा दीं गईं। इस गोलीकांड में सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई।
इसके बाद उत्तराखंड में अलग राज्य की मांग बेहद तेज होने लगी। इसी बीच एक सितंबर को खटीमा कांड के विरोध में मसूरी में आंदोलनकारियों ने एक जुलूस निकाला। ये जुलूस मसूरी के गढ़वाल टैरेस से झूलाघर के लिए निकला। इसी दौरान गनहिल की पहाड़ी के पत्थर चले। आंदोलनकारी छिपने के लिए बढ़े तभी पुलिस ने गोलियां चला दीं। इस कार्रवाई में छह आंदोलनकारी शहीद हो गए। इस कार्रवाई में एक सीओ उमाकांत त्रिपाठी भी शहीद हो गए।
इसके बाद पूरा राज्य उद्वेलित हो गया। इसी बीच राज्य के आंदोलनकारियों ने दिल्ली कूच का ऐलान किया। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने तय कर लिया था कि किसी भी हाल में आंदोलनकारियों को दिल्ली नहीं पहुंचने दिया जाएगा। देहरादून से दिल्ली के लिए रवाना हुए आंदोलनकारियों को सबसे पहले नारसन सीमा पर रोका गया। आंदोलनकारियों ने इस बाधा को पार कर लिया। इसके बाद रामपुर में भारी पुलिस बल की तैनाती कर इन आंदोलनकारियों को रोकने का इंतजाम किया गया। रामपुर तिराहे पर पहुंचे आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच जबरदस्त झड़प हुई। इसी बीच पथराव शुरु हो गया। इस पथराव में मुजफ्फरनगर के तत्कालीन डीएम अनंत कुमार सिंह घायल हो गए। इसके बाद पुलिस ने गोलियां चलानी शुरु कर दीं। इस गोलीबारी में बड़ी संख्या में आंदोलनकारी शहीद हो गए। पुलिस पर महिला आंदोलनकारियों से रेप और बदसलूकी के आरोप भी लगे।
इन तीनों घटनाओं ने उत्तराखंड के लोगों के मन में हमेशा के लिए ऐसी नफरत भर दी जो वर्षों बाद भी दूर नहीं हो पाईं हैं। यही वजह रही है कि मुलायम सिंह यादव की पार्टी सपा कभी पहाड़ नहीं चढ़ पाई। उत्तराखंड में समाजवादी पार्टी का कोई अस्तित्व नहीं पनप पाया।
The post पृथक उत्तराखंड नहीं चाहते थे मुलायम, आंदोलनकारियों पर चलवा दी थीं गोलियां first appeared on Khabar Uttarakhand News.
0 comments:
Post a Comment