तो क्या सीएम पुष्कर सिंह धामी भी अब पीएम नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राह पर चल पड़े हैं? क्या सीएम धामी भी राष्ट्रवाद की भावना के सहारे अब उत्तराखंड में न सिर्फ एक तरीके की राजनीति का अगुवा बनने की कोशिश कर रहें हैं बल्कि सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीति को भी हवा दे रहें हैं ? ये सभी सवाल इसलिए क्योंकि पिछले कुछ दिनों में सीएम पुष्कर सिंह धामी के दो ऐसे फैसले देखने को मिले हैं जो इस बात की तस्दीक कर रहें हैं।
गुलामी के प्रतीक नाम हटाएंगे
सीएम धामी ने हाल ही में पत्रकारों से बातचीत में बयान दिया कि उत्तराखंड में गुलामी के प्रतीक नामों को हटाया जाएगा। ये बयान अखबारों में प्रकाशित भी हुआ।
खबरों के अनुसार लैंसडाउन का नाम कालों का डांडा कर दिया जाएगा। इसके अलावा भी अगर कोई नाम ऐसे मिले जो मुगल काल या ब्रिटिशकाल की हुकूमत की याद दिलाते हों तो उनके नाम भी बदले जा सकते हैं। खैर, सीएम धामी का ये बयान अखबारों में छपने के बाद सुर्खियों में आ गया। सोशल मीडिया में इसे लेकर चर्चाएं होने लगीं हैं।

लैंसडाउन का इतिहास क्या है?
विकिपीडिया के अनुसार लैंसडाउन को 1887 में बसाया गया। गढ़वाली में इस इलाके के लिए कालू डाण्डा शब्द का प्रयोग होता रहा। इसका अर्थ है काले पहाड़ों का इलाका। 1887 में जब इसे अंग्रेजों ने बसाया तो इसका नाम तत्कालीन वायसराय ऑफ इंडिया लार्ड लैंसडौन के नाम पर ही लैंसडौन रख दिया गया। ये पूरा इलाका सैन्य गतिविधियों के लिए इस्तमाल होता रहा है। आज भी ये सैन्य छावनी के तौर पर प्रयोग होता है और गढ़वाल रेजिमेंट का मुख्यालय भी लैंसडौन ही है।

UCC पर चल रहा है काम
पुष्कर सिंह धामी नाम बदलने की राजनीति से पहले ही यूनिफार्म सिविल कोड का भी ऐलान कर चुके हैं। समान नागरिक संहिता का ऐलान सीएम धामी ने चुनावों के ऐलान के बाद मतगणना के ठीक पहले किया था। सरकार में वापसी करते ही धामी सरकार ने इस पर कमेटी बनाई और काम शुरु कर दिया। जल्द ही इसका ड्राफ्ट सामने आ सकता है। यहां खास बात ये है कि आजादी के बाद पूरे देश में यूनिफार्म सिविल कोड किसी भी राज्य में लागू नहीं है और अगर उत्तराखंड इसे लागू करता है तो ऐसा करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य होगा।
विपक्ष कर रहा है विरोध
वहीं इस मसले पर राजनीति भी शुरु हो गई है। विपक्ष में बैठी कांग्रेस इसे मूल मसलों से ध्यान भटकाने की कोशिश बता रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा कह रहें हैं कि प्रदेश की सरकार जनता को गुमराह कर रही है। सरकार का ध्यान विकास की ओर होना चाहिए। प्रदेश में सड़कों की खस्ताहाली, अस्पतालों की बदहाली और स्कूलों की व्यस्थाओं को दुरुस्त करने पर सरकार ध्यान होना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हैं।
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