उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर से हुई भर्तियों को रद्द करने के फैसले पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने सरकार से इस मामले में जवाब मांग लिया है।
उत्तराखंड विधानसभा से निकाले गए कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने एक बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने विधानसभा अध्यक्षों के जरिए नियुक्त किए गए कर्मचारियों को निकालने के फैसले पर रोक लगा दी है। फिलहाल इनकी बर्खास्तगी नहीं होगी। हाईकोर्ट ने सरकार से इस मसले पर चार हफ्ते में जवाब मांगा है।
आपको बता दें कि विधानसभा में बैकडोर से हुईं 250 भर्तियां रद्द कर दी थीं। इनमें 228 तदर्थ और 22 उपनल के माध्यम से हुईं नियुक्तियां शामिल हैं। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने इन भर्तियों को रद्द करने का फैसला लिया था। ये फैसला नियुक्तियों की जांच के लिए बनी तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर किया गया था। इसी रिपोर्ट में सिफारिश के आधार पर 2016 में हुईं 150 तदर्थ नियुक्तियां, 2020 में हुईं छह तदर्थ नियुक्तियां, 2021 में हुईं 72 तदर्थ नियुक्तियां और उपनल के माध्यम से हुईं 22 नियुक्तियों को गलत माना था।
याचिका दायर करने वाले कर्मचारियों का तर्क है कि विधानसभा अध्यक्ष ने लोकहित का हवाला देकर कर्मचारियों को निकाल दिया गया। जबकि ये पूरी कार्रवाई विधि विरुद्ध है। नियमों के अनुसार छह माह की सेवा के बाद इन कर्मचारियों को नियमित हो जाना चाहिए था
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