pauri bas accident updateपौड़ी के रिखणीखाल के पास हुए हादसे ने फिर एक बार कई ऐसे सवाल खड़े कर दिए हैं जिनके जवाब न तो सरकार के पास हैं और न ही सिस्टम के पास।

बारात की जिस बस का एक्सीडेंट हुआ वो अनफिट थी और ओवरलोडेड थी। उसमें तकनीकी खराबी थी और वो पहाड़ के रास्तों पर चल रही थी। हैरानी इस बात की है कि हरिद्वार के लालढांग से पौड़ी के कांडा तल्ला गांव तक के लगभग 150 किमी के सफर में बस की फिटनेस चेक करने वाला कोई सिस्टम नहीं तैनात किया गया है।

विभाग की काहिली और गैरजिम्मेदार रवैए का आलम ये है कि इसी साल जून में हुए ऐसे ही एक हादसे में 25 लोगों की जान चली गई थी। यमुनोत्री जा रहे श्रद्धालुओं की बस डामटा के पास खाई में गिर गई थी। इस हादसे में मध्यप्रदेश के श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। हादसे के बाद जांच के आदेश दिए गए थे। इसके साथ ही पहाड़ों पर होने वाले सड़क हादसों को रोकने के लिए गंभीर प्रयासों के दावे भी सरकारी सिस्टम ने किए थे। हालांकि पौड़ी में हुए बस हादसे ने इन दावों की हवा निकाल दी है।

मौके पर मंत्री गए ही नहीं

इस हादसे के बाद राज्य के परिवहन मंत्री चंदन राम दास मौके पर गए तक नहीं। हालांकि मुख्यमंत्री और स्थानीय विधायक जरूर पहुंचे थे। मुख्यमंत्री को लोगों के विरोध का सामना भी करना पड़ा था। जहां हादसा हुआ वहां सड़क चौड़ीकरण की मांग पिछले काफी समय से होती आ रही है। पिछले पांच सालों से राज्य में बीजेपी की ही सरकार है और इलाके का विधायक भी बीजेपी से ही है इसके बावजूद सिस्टम तक लोगों की आवाज नहीं पहुंची। वहीं मौके पर परिवहन मंत्री के न पहुंचने को लेकर भी लोगों में चर्चाएं होती रहीं।

न चेकिंग, न कोई रोक

उत्तराखंड में मैदानों से लेकर पहाड़ों तक ऐसी तमाम बसें, मैक्स कैब, मैजिक, ट्रैवलर और अन्य वाहन हैं जो अनफिट हैं। पहाड़ तो छोड़िए मैदानों में चलने भर का नियम नहीं पालन करते हैं। ओवरलोडिंग के बार में मानों बात ही करनी बेमानी है। पहाड़ों ने चलने वाले सार्वजनिक यातायात के माध्यमों में न ओवरलोडिंग कम हो रही है और न ही इन्हे रोकने का कोई सिस्टम दिखता है। मानों सिस्टम ने मान लिया है कि इसे रोकना उनके बस में नहीं है।

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