badrinath petals closed
उत्तराखंड स्थित विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट आज शनिवार को शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। कपाट बंद करने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस अवसर पर बदरीनाथ मंदिर को फूलों से सजाया गया है। कपाट बंद होने के बाद अब शीतकालीन गद्दीस्थल पांडुकेश्वर व जोशीमठ में श्रद्धालु भगवान बदरीनाथ के दर्शन कर सकेंगे।

उत्तराखंड स्थित बदरीनाथ धाम के कपाट आज शाम 3 बजकर 35 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। कपाट बंद करने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस अवसर पर बदरीनाथ मंदिर को फूलों से सजाया गया है। कपाट बंद होने के बाद अब शीतकालीन गद्दीस्थल पांडुकेश्वर व जोशीमठ में श्रद्धालु भगवान बदरीनाथ के दर्शन कर सकेंगे।

श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी हरीश गौड़ के मुताबिक कि माणा गांव के महिला मंडल द्वारा बुने गए ऊन के घृत कंबल को भगवान बदरी विशाल को ओढ़ाकर शाम तीन बजकर 35 मिनट पर श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे।

शीतकालीन दर्शन होंगे यहां

कपाट बंद होने के बाद 20 नवंबर की सुबह श्री उद्धव व श्री कुबेर की डोली बदरीनाथ धाम से योग ध्यान बदरी पांडुकेश्वर पहुंचेगी। साथ में रावल व आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी भी योग बदरी पांडुकेश्वर पहुंचेगी। उद्धव और कुबेर शीतकाल में योग बदरी पांडुकेश्वर में प्रवास करेंगे, जबकि 20 नवंबर को पांडुकेश्वर प्रवास के पश्चात 21 नवंबर को आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगी। इसके बाद योग बदरी पांडुकेश्वर तथा नृसिंह मंदिर जोशीमठ में शीतकालीन पूजाएं की जायेंगी।

बदरीनाथधाम आए थे रिकार्ड तोड़ श्रद्धालु

इस साल बदरीनाथ धाम के 17,53,000 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। बदरीनाथ धाम में यात्रियों की संख्या का भी रिकार्ड टूटा है। बता दें कि साल 2019 में सर्वाधिक 12,40,929 श्रद्धालु पहुंचे थे। गौरतलब है कि 2020 और 2021 में कोरोना के कारण काफी कम संख्या श्रद्धालु आए थे।

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