उत्तराखंड के पूर्व पुलिस महानिदेशक बीएस सिद्धू की गिरफ्तार पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। पूर्व डीजीपी पर सरकारी जमीन पर कब्जा करने और पेड़ कटवाने के आरोपी है। मामले की सुनवाई जज संजय मिश्रा की एकलपीठ में हो रही है। उन्होंने आरोपी से जांच में सहयो करने को भी कहा है। हाईकोर्ट ने उन पर दो बार मुकदमा दर्ज करने के संबंध में सरकार को स्थिति साफ करने को कहा हैं। मामले में अगली सुनवाई 16 नवंबर को होनी है।
गौरतलब है कि पूर्व पुलिस महानिदेशक बीएस सिद्धू पर पद पर रहते हुए उसका दुरुपयोग करने का भी आरोप है। बीएस सिद्धू के खिलाफ देहरादून के राजपुर थाने में सरकारी जमीन पर कब्जा करने व पेड़ कटवाने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है। सिद्धू द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया कि इसी आरोप में उनके खिलाफ 2013 में भी मुकदमा दर्ज किया गया था, जो विचाराधीन है। नियमानुसार एक आरोप के लिए दो बार मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता है। सिद्धू ने 23 अक्तूबर को अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग की है।
उत्तराखंड सरकार की अनुमति के बाद मसूरी के प्रभागीय वन अधिकारी आशुतोष सिंह ने 23 अक्टूबर को पूर्व डीजीपी सहित सात अन्य के विरुद्ध राजपुर थाने में आरक्षित वन भूमि जमीन कब्जाने और सरकारी पद का दुरुपयोग करने का मुकदमा दर्ज कराया था। दर्ज एफआईआर के आधार पर बीएस सिद्धू ने 2012 में अपर पुलिस महानिदेशक पद पर रहते हुए मसूरी वन प्रभाग में पुरानी मसूरी रोड स्थित वीरगिरवाली गांव में 0.7450 हेक्टेयर आरक्षित वन भूमि पर गड़बडी करके खरीदी थी।
उन पर यह भी आरोप है कि उस जमीन पर लगे कई साल के पेड़ों को अवैध तरीके से कटवा दिया गया था। इस मामाले में सिद्धू के मुताबिक 2013 में जमीन पर पेड़ कटे होने की जानकारी देने के बाद ही वन विभाग ने मामले में कार्रवाई शुरू की थी। यह मामला पहले से ही कोर्ट में विचाराधीन है और शासन को गुमराह कर उनके खिलाफ फिर से मुकदमा दर्ज किया गया है।
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