SUPREME COURT
हिन्दी भारत की राष्ट्र भाषा के रूप में जानी जाती है। वहीं अनुच्छेद 343 के मुताबिक देवनागरी लिपि में हिंदी को अधिकारिक राष्ट्र भाषा का दर्जा दिया गया हैं लेकिन आज भी सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में अंग्रेजी भाषा का ही ज्यादातर प्रयोग किया जाता है। वहीं हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि संपर्क भाषा के तौर पर अंग्रेजी की जगह हिंदी भाषा का प्रयोग होना चाहिए। सरकारी कामकाज में हिंदी का प्रयोग बढ़ाया जाए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में आज भी सुनवाई अंग्रेजी में ही होती है।

बीते शुक्रवार को ऐसा ही एक मामला सुप्रीम कोर्ट में सामने आया जब कोर्ट ने एक याचिकाकर्ता को हिन्दी में बहस करने से मना करते हुए उसे कहा कि इस अदालत की भाषा अंग्रेजी है, इसलिए आप अपनी बात अंग्रेजी में ही रखे। बुजुर्ग याचिकाकर्ता शंकर लाल शर्मा नाम का ये व्यक्ति अपना केस लेकर सुप्रीम कोर्ट खुद आया था और उसेे अंग्रेजी की जानकारी नहीं थी।

कोर्ट ने व्यक्तिगत रूप से पेश होकर अपने मामले में हिंदी में दलील देने वाले याचिकाकर्ता शंकर लाल शर्मा से कहा कि इस अदालत की भाषा अंग्रेजी है। न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ ने पाया कि बुजुर्ग याचिकाकर्ता यह नहीं समझ नहीं पा रहे हैं कि अदालत क्या कह रही है। इसके बाद पीठ ने याचिकाकर्ता को विधिक सहायता के लिए एक वकील उपलब्ध कराया। शर्मा ने अपने मामले की सुनवाई शुरु होते ही हिंदी में दलील पेश करते हुए कहा कि उनका मामला शीर्ष अदालत सहित विभिन्न अदालतों में जा चुका है, लेकिन उन्हें कहीं से भी कोई राहत नहीं मिली है।

वकील उपलब्ध कराने की दी राय

न्यायमूर्ति जोसेफ ने शर्मा से कहा, ‘हमने मामले से संबंधित फाइल पढ़ी है। यह एक बहुत ही पेचीदा मामला है, लेकिन आप जो कुछ कह रहे हैं, उसे हम समझ नहीं पा रहे हैं।’ न्यायमूर्ति ने कहा, ‘इस अदालत की भाषा अंग्रेजी है। यदि आप चाहें तो हम आपको एक वकील उपलब्ध करा सकते हैं जो आपके मामले में बहस करेंगे।’ इस बीच, एक अन्य अदालत में पेश हो रहीं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान उनकी मदद के लिए पहुंची और उन्होंने पीठ द्वारा कही जा रही बातों को अनुवाद कर उन्हें बताया।

शर्मा से बात करने के बाद, दीवान ने पीठ से कहा कि याचिकाकर्ता विधिक सहायता के लिए वकील रखने संबंधी शीर्ष अदालत के प्रस्ताव को स्वीकार करने को इच्छुक है। इसके बाद, पीठ ने शर्मा के ठीक पीछे बैठे एक अन्य वकील से पूछा कि क्या वह याचिकाकर्ता की सहायता कर सकते हैं। उनके सहमत होने के बाद, पीठ ने वकील से कहा, ‘उम्मीद है कि आप यह सहायता निशुल्क कर रहे हैं।’ वकील ने कहा, ‘हां, मैं यह सहायता निशुल्क करूंगा।’ पीठ ने मामले की अगली सुनवाई चार दिसंबर के लिए निर्धारित कर दी और वकील से मामले की फाइल देखने को कहा।

सुप्रीम व हाईकोर्ट की भाषा है अंग्रेजी

गौरतलब है कि अनुच्छेद 348 (1) के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की कार्यवाही की भाषा अंग्रेजी है। भाषा को बदलने का अधिकार खुद कोर्ट के पास भी नहीं है। हालांकि संसद चाहे तो भाषा को बदला जा सकता है। अनुच्छेद 348 में संशोधन को लेकर केंद्र सरकार को साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नोटिस भी भेजा गया था। 19 अगस्त 2014 में सरकार को यह नोटिस सर्वाेच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एचएल दत्तू और न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसए बोबडे की पीठ ने दिया।

यह नोटिस अधिवक्ता शिव सागर तिवारी की उस याचिका पर जारी किया गया है जिसमें न्यायालय को सरकार को संविधान में संशोधन कर उच्च न्यायपालिका की कार्यवाही को आधिकारिक भाषा हिन्दी में करने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि उच्च न्यायपालिका में आधिकारिक भाषा के तौर पर अंग्रेजी का प्रयोग ब्रिटिश शासन की विरासत है और इसे अब खत्म किया जाना चाहिए।

अपनी याचिका में अधिवक्ता शिव सागर तिवारी ने यह भी कहा था कि हालांकि अनुच्छेद 343 के अनुसार देवनागरी लिपि में हिन्दी को आधिकारिक राष्ट्रीय भाषा का दर्जा मिला हुआ है लेकिन दुर्भाग्यवश संविधान के भाग ग्टप्प् के अध्याय प्प्प् के अनुच्छेद 348 में सर्वाेच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय की सभी कार्यवाहियों को अंग्रेजी में करने की बात कही गई है।
इसके अलावा उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 349 के तहत तर्क दिया कि, संविधान के बनने के 15 वर्ष के बाद संसद सर्वाेच्च न्यायालय में भाषा में बदलाव के लिए संशोधन करने के लिए बाध्य थी। हालांकि ऐसा अभी तक नहीं किया गया है और सर्वाेच्च न्यायालय में अंग्रेजी का प्रयोग करने के लिए लोगों को मजबूर किया जा रहा है।

The post सुप्रीम कोर्ट में हिंदी में बहस कर रहे व्यक्ति को जज ने कहा- कुछ समझ नहीं आया, इंग्लिश में बोलो first appeared on Khabar Uttarakhand News.





1 comments:

  1. THIS IS WHAT GADWALI BABAS DO NOT UNDERSTAND !

    THEY ARE ILLITERATE LIMPDICKS WITH THE JAT/RAJPUT AND SIKH TRASH IN UKD ! dindooohindoo

    HINDI IS A LANGUAGE FOR MADARCHODS !

    IT IS A SLAVE LINGO DESIGNED FOR OPPRESSION !

    GADWALIS ARE EDUCATED IN PATHDHALAS AND GAUSHALAS WITH GOBAR AND GOBAR GAS ! WHICHIS Y THEY ARE FIT TO BE FOKAD FAUJIS AND TOILET CLEANERS !

    HINDI IS A LINGO FOR HINDOO SCUM !

    WHAT IS A HINDOO

    The wisdom of the “children of Cyrus,Darius and Xerxes”,encapsulates the “transcendence of Human thought”, the “Deuterosis of the Dindoo”, as under:

    A “Persian dictionary”,titled “Lughet-e-Kishwari”,published in Lucknow in 1964,gives the meaning of the word Hindu as “chore [thief], dakoo [dacoit], raahzan [waylayer], and ghulam [slave].

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