RISHIKESH NEWS PROTEST ON ANKITAअंकिता भंडारी हत्याकांड में किसी वीआईपी के नाम का पता न चलने के सरकार के बयान पर हंगामा मच गया है। सरकार के इस बयान को लेकर लोगों में नाराजगी देखी जा रही है। वहीं विपक्ष ने हत्याकांड की जांच पर ही सवाल उठा दिए हैं।

आपको बता दें कि मंगलवार को सदन में कानून व्यवस्था पर चर्चा के दौरान राज्य के संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बयान दिया कि पुलकित आर्या के रिजार्ट में किसी वीआईपी का नाम प्रकाश में नहीं आया है। प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि, पूछताछ में पता चला है कि रिजार्ट के प्रेसिडेंशियल सुइट्स को ही वीआईपी सुइट्स कहते थे और इन सुइट्स में रुकने वाले मेहमानों को वीआईपी गेस्ट कहते थे। प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा है कि रिजार्ट के कर्मियों से पूछताछ में किसी वीआईपी गेस्ट का नाम प्रकाश में नहीं आया है।

अब प्रेमचंद अग्रवाल के इस बयान पर लोगों की प्रतिक्रिया सामने आने लगी है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा है, ‘वाह भई संसदीय कार्य मंत्री जी, अभी अंकिता हत्याकांड के मामले में चार्जशीट भी अदालत में सम्मिट नहीं हुई, आपने विधानसभा में कह दिया कि उस रिजॉर्ट में जहां अंकिता काम करती थी, एक कक्ष को ही वीआईपी कक्ष कहा जाता था। मेरी समझ में नहीं आता है कि सरकार इस निष्कर्ष पर किन तथ्यों के आधार पर पहुंची है! जबकि अंकिता ने अपने मित्र को भेजे हुए संदेश में साफ कहा है कि एक VIP आने वाला है और उसके लिए स्कॉट करने के लिए मुझ पर दबाव डाला जा रहा है। जहां तक मेरी जानकारी है, उस वीआईपी को लेकर SIT को कुछ तथ्य अंकिता के दोस्त ने बताये भी हैं, कुछ और स्रोतों से उन तथ्यों की जानकारी मिली है! क्या सरकार ने यह तय कर लिया है कि SIT की अंतिम रिपोर्ट आने से पहले ही VIP प्रकरण को समाप्त मान लिया जाए? यह स्पष्ट तौर पर सरकार की तरफ से SIT की जांच को प्रभावित करने वाला बयान है और यह विधानसभा व उत्तराखंड और उत्तराखंड के नारीत्व का स्पष्ट अपमान है। मैं इसकी निंदा करता हूं।’

वहीं अंकिता भंडारी केस में संसदीय कार्यमंत्री के बयान से नाराज युवा संघर्ष समिति के बैनर तले आंदोलनकारियों ने बुधवार को ऋषिकेश में मंडी तिराहा हरिद्वार रोड पर उनका पुतला फूंका। आपको बता दें कि वीआइपी के नाम का खुलासा और सीबीआइ जांच की मांग को लेकर 49 दिन से आंदोलन चल रहा है। पांच आंदोलनकारी चार दिन से बेमियादी अनशन पर हैं। आंदोलनकारियों ने कहा कि एसआइटी जो भाषा बोल रही है वह सरकार की भाषा है। यही नहीं आंदोलनकारियों ने किसी साजिश की आशंका के तहत कहा है कि अभी तक मामले की चार्जशीट तक दाखिल नहीं हुई है, मामला उच्च न्यायालय नैनीताल में विचाराधीन है। इसके बावजूद संसदीय कार्य मंत्री वीआईपी को क्लीन चिट दे रहें हैं।

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