JOSHIMATH PROTESTअब ये साफ हो गया है कि जोशीमठ में बड़े पैमाने पर विस्थापन होगा और जोशीमठ के लोगों को अपनी जमीन छोड़नी ही पड़ेगी। सरकार ने जोशीमठ के विस्थापितों के लिए पीपलकोटी में जमीन चिह्नित कर ली है। जल्द ही यहां तैयारियां शुरु हो जाएंगी।

सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा के मुताबिक जोशीमठ के लोगों के स्थायी विस्थापन के लिए पीपलकोटी को फाइनल कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि चमोली जिला प्रशासन ने जीएसआई की ओर से भूमि सर्वेक्षण जांच कराई और इसके बाद पीपलकोटी में स्थायी विस्थापन के लिए दो हेक्टयर भूमि को हरी झंडी दे दी है। अब सीबीआरआई की ओर से भूमि का विकास और भवनों के लेआउट बनाने का काम किया जाएगा।

इसके अलावा भी तीन अन्य स्थानों पर स्थायी विस्थापन के लिए भूमि चयन की गई है। इनमें कोटी फार्म, एचआरडीआई की भूमि और ढाक गांव में स्थित भूमि शामिल है। इनमें से एक कोटी फार्म में स्थित उद्यान विभाग की भूमि पर पहले चरण में तीन प्री-फेब्रीकेटिड डेमोस्ट्रेशन भवन बनाए जाएंगे।

जोशीमठ के लोंगों के दिलों पर विस्थापन का जख्म अब ताउम्र उन्हे सालता रहेगा। अपनी जमीन से अब वो दूर होने वाले हैं। जोशीमठ और पीपलकोटी के बीच तकरीबन 35 से 37 किलोमीटर की दूरी है। यानी जिसे न्यू जोशीमठ कहा जाएगा वो जोशीमठ में होगा ही नहीं, वो पीपलकोटी में होगा। पीपलकोटी में करीब दो हेक्टेयर क्षेत्रफल में 125 से 130 परिवारों को बसाया जाएगा।

वहीं अब जोशीमठ में राहत पैकेज के लिए राज्य सरकार को केंद्र की मदद की दरकार है। राज्य सरकार ने नुकसान की रिपोर्ट तैयार करनी शुरु कर दी है। माना जा रहा है कि जल्द ही इस राहत पैकेज को केंद्र को भेजा जा सकता है। हालांकि तसल्ली से इस बारे में कोई अधिकारी आंकड़ा नहीं बता रहा है लेकिन एक अनुमान के मुताबिक 2000 करोड़ रुपए के राहत पैकेज की मांग की जा सकती है।

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