अब लग रहा है मानो समूचा उत्तराखंड एक टाइम बम पर बैठा है। जोशीमठ से शुरु हुई बुरी खबरों का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। पहले कर्णप्रयाग, फिर मसूरी के लंढौर, फिर टिहरी के पिपोला गांव का मामला और अब रुद्रप्रयाग के मरोड़ा गांव का मामला।
अब रुद्रप्रयाग के मरोड़ा गांव में बड़े पैमाने पर घरों में दरारें आ गईं हैं। हालात ये हैं कि रेल लाइन के लिए हो रहे काम के चलते मरोड़ा गांव के कई मकान असुरक्षित हो गए हैं और वहां रहने वालों को शिफ्ट कर दिया गया है। हालांकि कई लोगों को अभी न तो मुआवजा मिला है और न ही उनके पुनर्वास की कोई व्यवस्था की गई है। ऐसे में ये परिवार अब भी टूटे-फूटे मकानों में रह रहे हैं।
पहाड़ों में भूस्खलन होने की आशंकाओं को देखते हुए अधिकांश जगह रेल टनल से होकर गुजरेगी। इसी कड़ी में जनपद के मरोड़ा गांव के नीचे भी टनल का निर्माण कार्य चल रहा है। लेकिन टनल निर्माण के चलते मरोड़ा गांव के घरों में मोटी-मोटी दरारें पड़ चुकी हैं। कई घर तो दरार पड़ने के बाद जमींदोज हो चुके हैं और कई होने की कगार पर हैं। जिन परिवारों को रेलवे की ओर से मुआवजा मिल गया है, वह तो दूसरी जगह चले गये हैं।
स्थानीय लोगों की माने तो ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन के चलते ही उनका गांव भू धंसाव की चपेट में आ गया। शुरुआत में रेल लाइन निर्माण कार्य में लगी कंपनी ने लोगों को टीन शेड के मकानों में शिफ्ट कर दिया। कुछ दिनों तक पैसा भी दिया लेकिन अब वो भी बंद हो गया और टीन शेड की व्यवस्थाओं को भी कम कर दिया गया है।
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