जोशीमठ में भूधंसाव बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। भूधंसाव ने अब इस शहर के एक बड़े हिस्से को अपनी चपेट में ले लिया है।
वहीं सरकार के प्रति लोगों की नाराजगी अब खुलकर सामने आई है। लोगों ने बुधवार की रात जोशीमठ में मशाल जुलूस निकालकर विरोध दर्ज कराया है। लोगों सरकार के ढीले रवैए से नाराज हैं। वहीं लोगों की नाराजगी समीक्षा करने और रिपोर्ट बनाने के सरकार के आदेशों से भी है। लोगों का आरोप है कि पूरा शहर धंस रहा है तो सरकार सर्वे कराने और रिपोर्ट बनाने में लगी है। सरकार को तुरंत लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था करनी चाहिए।
80 के करीब परिवार शिफ्ट
जोशीमठ में भू-धंसाव से स्थिति लगातार बिगड़ रही है। भू-धंसाव ने अब सभी वार्डों को चपेट में ले लिया है। बुधवार को जोशीमठ से 66 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया। अब तक लगभग 80 परिवारों को शिफ्ट किया जा चुका है।
आज जोशीमठ पहुंचेगा विशेषज्ञ दल
वहीं सरकार ने जोशीमठ में एक विशेषज्ञ दल भेजा है। आज ये दल जोशीमठ पहुंच जाएगा। इस दल में उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) से डॉ. पीयूष रौतेला, उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र (यूएलएमएमसी) से डॉ. शांतनु सरकार, आईआईटी रुड़की से प्रो. बीके महेश्वरी, जीएसआई से मनोज कास्था, डब्ल्यूआईएचजी से डॉ. स्वपना मित्रा चौधरी और एनआईएच रुड़की से डॉ. गोपाल कृष्णा को शामिल किया गया है।
इससे पहले विशेषज्ञों का एक दल 16 से 20 अगस्त 2022 के बीच जोशीमठ को दौरा कर पहली रिपोर्ट सरकार को सौंप चुका है। यह टीम अगले कुछ दिन जोशीमठ में ही रहकर सर्वेक्षण का कार्य करेगी। इस दौरान दीर्घकालिक और तात्कालिक उपायों के संबंध में टीम सरकार को रिपोर्ट देगी।
SDC ने बनाई रिपोर्ट
एसडीसी फाउंडेशन ने उत्तराखंड में आने वाली प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं और दुर्घटनाओं पर अपनी तीसरी रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट का प्रमुख हिस्सा इस बार जोशीमठ के भूधंसाव को लेकर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शहर के 500 से ज्यादा घर रहने लायक नहीं रह गये हैं। लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने स्थिति से निपटने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है, जिसके कारण उन्हें 24 दिसम्बर को सड़कों पर उतरना पड़ा। इस दिन शहर के करीब 800 दुकानें विरोध स्वरूप बंद रहीं।
जोशीमठ धंसाव के कारणों का भी रिपोर्ट में जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेषज्ञों के अनुसार भूधंसाव का कारण बेतरतीब निर्माण, पानी की सतह का रिसाव, ऊपरी मिट्टी का कटाव और मानव जनित कारणों से जल धाराओं के प्राकृतिक प्रवाह में रुकावट है। शहर भूगर्भीय रूप से संवेदनशील है, जो पूर्व-पश्चिम में चलने वाली रिज पर स्थित है। शहर के ठीक नीचे विष्णुप्रयाग के दक्षिण-पश्चिम में, धौलीगंगा और अलकनंदा नदियों का संगम है। नदी से होने वाला कटाव भी इस भूधंसाव के लिए जिम्मेदार है।
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