जोशीमठ में 13 साल बाद एक बड़ा सच सामने आया है। ये सच किसी और ने नहीं बल्कि खुद राज्य के आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने किया है। ये सच हैरान करने वाला भी है और NTPC पर सवाल उठाने वाला भी है।
दरअसल राज्य के आपदा प्रबंधन सचिव डॉ. रंजीत सिन्हा रोजाना की तरह बुधवार को भी देहरादून में सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में प्रेस ब्रीफिंग कर रहे थे। इसी दौरान उनसे पत्रकारों ने सवाल जवाब किए। इसी दौरान एक सवाल जोशीमठ में NTPC की टनल को लेकर भी पूछा गया।
सवाल में ये जानने की कोशिश की गई कि क्या जोशीमठ में टनल निर्माण से पहले NTPC ने कोई जिलोलॉजिकल सर्वे कराया था। इस सवाल के जवाब में डॉ. रंजीत सिन्हा ने जो जवाब दिया वो हैरान करने वाला था। रंजीत सिन्हा ने कहा कि उन्हे NTPC के अधिकारियों ने बताया है कि जहां टनल का निर्माण होना था तो अगर टनल को लेकर एक पेंडुलम खड़ा करें तो टनल की लाइन के दोनों ओर 250-250 मीटर तक की दूरी का तो सर्वे कराया गया लेकिन जोशीमठ के अन्य इलाकों को लेकर कोई सर्वे नहीं कराया गया।
रंजीत सिन्हा का ये बयान बेहद महत्वपूर्ण और NTPC की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने वाला है। इस बयान से साफ है कि परियोजना की शुरुआत से ही NTPC ने जोशीमठ को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई। उसने इतनी बड़ी परियोजना को शुरु करने से पहले इस इलाके पर पड़ने वाले भूगर्भीय प्रभावों का कोई अध्ययन ही नहीं किया।
सवाल ये भी है कि क्या NTPC के अधिकारियों ने ऐसा जानबूझकर किया ? क्योंकि इस परियोजना के शुरु होने के वर्षों पहले ही मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट आ चुकी थी और उससे साफ हो चुका था कि जोशीमठ की भूमि किसी बड़ी भूगर्भीय हलचल के लिए उपयुक्त नहीं है। ऐसे में एनटीपीसी ने जानबूझकर तो कहीं सर्वेक्षण से बचना ही उचित समझा?
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