उत्तराखंड का बाघ बीते दो माह से अधिक समय से हिमाचल में आराम फरमा रहा है। राजाजी टाइगर रिजर्व की माेहंड से सटी चीलावाली रेंज से आरटी-5 नाम का बाघ बीते दिसंबर में हिमाचल की सीमा में गया और सिंबलबाड़ा नेशनल पार्क पहुंच गया। तब से यह बाघ वहीं उछल कूद कर रहा है।

चीलावाली रेंज से गायब हुआ था बाघ

राजाजी टाइगर रिजर्व में बीते वर्ष अक्टूबर माह में बाघ मोहंड से सटी चीलावालज से गायब हो गया था। जिसके बाद से ही पार्क प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए थे। राजाजी की कई टीमें बाघ फुट मार्क खोजने में जुट गईं। साथ ही पूरे क्षेत्र में कैमरा ट्रैप भी लगाए गए। इसके 2 माह बाद दिसंबर में यह बाघ चीलावाली रेंज में ही स्पाट किया गया। जिससे पार्क प्रशासन ने राहत की सांस ली। कुछ दिनों तक क्षेत्र में चहलकदमी करने के बाद यह बाघ हिमाचल की सीमा में पहुँच गया।

हिमाचल प्रशासन ने किया ट्रैक

हालांकि, बाघ की सटीक लोकेशन पार्क प्रशासन को पता नहीं थी, लेकिन हिमाचल वन विभाग प्रशासन की ओर से टीम ने बाघ को ट्रैक करने का प्रयास किया। जिसके बाद जनवरी अंत में ही बाघ के सिरमौर जिले में होने की पुष्टि हुई। जहां सिबंलबाड़ा नेशनल पार्क क्षेत्र में बाघ उछल कूद करता मिला।

बाघ का इतनी दूर सफर तय करना अच्छा संकेत

राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक का मानना है कि बाघ का हिमाचल पहुंचना अच्छी खबर है। इससे साबित होता है कि राजाजी टाइगर रिजर्व से लेकर शिवालिक की पहाड़ियों से होते हुए चकराता फॉरेस्ट डिवीजन से सटे पांवटा साहिब स्थित कर्नल शेर जंग बहादुर नेशनल पार्क का इलाका टाइगर कॉरिडोर के रूप में सक्रिय है।





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