विधानसभा भर्ती घोटाला मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। विस से बर्खास्त कर्मी दो महीने से भी ज्यादा समय बीत जोने के बाद सड़कों पर डटे हुए हैं। इस भर्ती को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं।  स्पीकर ने कोटिया कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर 250 कर्मियों को बर्खास्त कर दिया। लेकिन जब कोटिया कमेटी ने 2000 के बाद की सभी नियुक्तियों को अवैध माना है। तो फिर आधे युवाओं को ही सड़क पर आने को क्यों मजबूर किया गया। सवाल गंभीर है और इसका जवाब देने वाला कोई नहीं। इसके साथ ही ये सवाल भी उठ रहा है कि क्या गलत तरीके से नौकरी देने वाले नेताओं पर भी एक्शन लेगी सरकार।

विस से बर्खास्त कर्मी सड़कों पर बेहाल

विस से बर्खास्त कर्मी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। बर्खास्तगी के बाद से ही युवा सड़कों पर उतर गए हैं। लेकिन इनकी सुनने को कोई भी तैयार नहीं है। हालांकि विपक्ष युवाओं का साथ देने की बात तो कर रहा है लेकिन विपक्ष खुद इस मसले पर एकमत नजर नहीं आ रहा है।

जहां एक ओर कांग्रेस बर्खास्त कर्मियों को बहाल करने की मांग कर रहा है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस बेरोजगार युवाओं को नौकरी देने की बात कर रही है। अगर इन्हें बहाल किया जाता है तो मेहनत से पास होने वाले बेरोजगार युवाओं को कैसे न्याय मिलेगा। कांग्रेस कैसे दोनों के समर्थन की बात कर रही है।

कोटिया कमेटी की रिपोर्ट आधार, आधे कर्मी अंदर आधे बाहर

विधानसभा भर्ती घोटाले का मामला बड़ा अटपटा है। विस में गलत तरीके से नौकरी पाने वाले आधे य़ुवा सड़कों पर हैं। लेकिन इन्हें गलत तरीके से नौकरी देने वाले नेताओं पर कोई सवाल भी नहीं उठा रहा। विस में मनमानी भर्ती के मामले ने तूल पकड़ा तो स्पीकर ऋतु खंडूड़ी ने आधे कार्मिकों को नौकरी से बाहर निकाल दिया।

विस अध्यक्ष के मुताबिक कोटिया कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर इनको निकाला गया है। लेकिन कोटिया कमेटी की रिपोर्ट को आधे कार्मिकों पर ही क्यों लागू किया गया। कोटिया कमेटी ने 2000 के बाद की सभी नियुक्तियों को अवैध माना है। लेकिन केवल 250 कर्मिकों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है। बाकी अभी भी नौकरी कर रहे हैं।

गलत तरीके से नौकरी देने वाले नेताओं पर एक्शन लेगी सरकार ?

विधानसभा भर्ती घोटाले में बाहर निकाले गए कर्मी अभी भी सड़कों पर प्रर्दशन कर रहे हैं। इनकी सुनने को कोई तैयार नहीं है। सबसे बड़ी बात ये है कि इन कर्मिकों को गलत तरीके से नौकरी देने वाले नेता पर अब तक कोई एक्शन लेना तो दूर उनका जिक्र भी नहीं किया गया है।

कर्मिक गलत तरीके से भर्ती हुए इसमें सिर्फ उनकी ही गलती नहीं है इसमें उनको गलत तरीके से भर्ती करवाने वाला भी तो जिम्मेदार है। यहां सवाल उठता है कि क्या गलत तरीके से भर्ती करवाने वाले नेताओं पर भी एक्शन लिया जाएगा। क्या उन्हें इन भर्तियों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

नेता अपने पद का दुरुपयोग करके नौकरियां बांट रहे थे। ऐसे में सवाल ये खड़ा हो रहा है कि क्या नौकरी देने वाले नेताओं ने कोई गुनाह नहीं किया और क्या उन्हें भी सजा नहीं मिलनी चाहिए। इसके साथ ही सवाल ये भी उठता है कि युवाओं को ये पता नहीं था कि नेता गलत भर्तियां कर रहे हैं।

इसके बाद भी केवल युवाओं को बर्खास्त करना और नेताओं को मौज करने की छूट देने पर सही है। जाहिर है कि जब तक इन नेताओं पर एक्शन नहीं होता तब तक इन युवाओं की बर्खास्ती को भी जायज नहीं माना जाना चाहिए।

 





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