जोशीमठ आपदा प्रभावितों पर दोहरी मार पड़ रही है। जहां एक तरफ आपदा के कारण जोशीमठ के लोग घरों से बेघर हो गए तो सरकार ने इनके होटलों और धर्मशालाओं में रहने की व्यवस्था की। तो वहीं अब दूसरी ओर होटल मालिकों ने इन्हें कमरे खाली करने का अल्टीमेटम दे दिया है। जिसके बाद आपदा प्रभावितों पर दोहरी मार पड़ रही है। सवाल उठ रहा है कि ऐसे में वो जाए तो कहां जाए।
जोशीमठ आपदा प्रभावितों को होटल मालिकों ने कमरे खाली करने का दिया अल्टीमेटम
जोशीमठ में आपादा प्रभावितों को सरकार ने प्री फैब्रिकेटेड भवन देने और विस्थापित करने का कहकर उनकी होटलों और धर्मशालाओं में रहने की व्यवस्था की। सरकार ने ये व्यवस्था 31 मार्च तक की है। लेकिन अब ये समय सीमा खत्म होने वाली है।
31 मार्च नजदीक आते ही 31 मार्च से पहले ही होटल मालिकों ने आपदा प्रभावितों को कमरा खाली करने का अल्टीमेटम दे दिया है। जिसके बाद आपदा प्रभावितों पर दोहरी मार पड़ रही है ऐसे में सवाल उठ रहा है कि वो जाए तो कहां जाए। आपदा प्रभावितों ने इसके लिए प्रशासन से गुहार लगाई है।
प्रशासन ने सरकार को लिखा पत्र पर नहीं आया कोई जवाब
इस पूरे मामले में अधिकारियों की लापरवाही सामने आ रही है। प्रशासन का कहना है कि इस मामले में प्रभावितों को होटलों में रखने की मियाद बढ़ाने के लिए शासन को लिखा गया है। लेकिन सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।
अधिकारियों की लापरवाही आपदा प्रभावितों पर पड़ रही भारी
आपदा प्रभावितों की गुहार के बाद भी सरकार का जवाब ना देना अधिकारियों के लापरवाही को दिखा रहा है। जहां एक ओर आपदा प्रभावितों की हर संभव मदद का सरकार दावा कर रही है तो वहीं दूसरी ओर अधिकारियों की लापरवाही सरकार के दावों की पोल भी खोल रही है।
अब देखना ये होगा कि आपदा प्रभावितों की सरकार कब मदद करेगी। कब इन्हें प्री फैब्रिकेटेड भवन बनाकर उपलब्ध कराए जाएंगे। सबसे बड़ा सवाल ये कि आपदा प्रभावितों को कब विस्थापित किया जाएगा।
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