HIGH COURT

प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर दायर जनहित याचिका में आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। जिसमें नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने सरकार से इस मामले में मंगलवार तक जवाब देने को कहा है।

लोकायुक्त की नियुक्ति मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति व लोकायुक्त संस्थान को सुचारु रूप से संचालित किए जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट ने आज सुनवाई की। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस मामले में मंगलवार तक जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।

27 जून को अगली सुनवाई

इस मामले में अगली सुनवाई 27 जून को होगी। पहले कोर्ट ने सरकार से शपथपत्र के माध्यम से ये बताने के लिए कहा था कि लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए अभी तक क्या किया गया है। इसके साथ ही कहा कि संस्थान जब से बना है तब से 31 मार्च 2023 तक इस पर कितना खर्च हुआ। इसका हाईकोर्ट ने वर्षवार विवरण पेश करने के लिए कहा था।

हल्द्वानी गौलापार निवासी ने दायर की थी जनहित याचिका

इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष हुई। मामले में हाईकोर्ट में हल्द्वानी गौलापार निवासी रवि शंकर जोशी ने जनहित याचिका दायर की थी।

इस याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार द्वारा अभी तक लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं की गई है। जबकि संस्थान के नाम पर वार्षिक 2 से 3 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं।

इसके साथ ही जनहित याचिका में कहा गया कि लोकायुक्त द्वारा कर्नाटक और मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जा रही है। लेकिन उत्तराखंड में नहीं यहां तमाम घोटाले हो रहे हैं। प्रदेश में छोटे से छोटा मामला भी हाईकोर्ट में लाना पड़ रहा है।

राज्य की सभी जांच एजेंसी हैं सरकार के अधीन

हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में कहा गया कि वर्तमान में राज्य की सभी जांच एजेंसी सरकार के अधीन हैं। इनका पूरा नियंत्रण राज्य के राजनैतिक नेतृत्व के हाथों में है। वर्तमान में उत्तराखंड राज्य में कोई भी ऐसी जांच एजेंसी नहीं है, जिसके पास यह अधिकार हो कि वह बिना शासन की पूर्वानुमति के किसी भी राजपत्रित अधिकारी के विरुद्ध भ्रष्टाचार का मुकदमा पंजीकृत कर सके।

इसके साथ ही इस याचिका में कहा गया है कि विजिलेंस विभाग भी राज्य पुलिस का ही हिस्सा है। जिसका पूरा नियंत्रण पुलिस मुख्यालय और सतर्कता विभाग या मुख्यमंत्री कार्यालय के पास रहता है।

लोकायुक्त की नियुक्ति का वाद नहीं हुआ पूरा

एक पूरी तरह से पारदर्शी, स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच व्यवस्था राज्य के नागरिकों के लिए कितनी महत्वपूर्ण है, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण ये है कि पहले के विधानसभा चुनावों में राजनैतिक दलों द्वारा राज्य में अपनी सरकार बनने पर प्रशासनिक और राजनैतिक भ्रष्टाचार को समाप्त करने की बात कही थी। उनके द्वारा इसको खत्म करने के लिए एक सशक्त लोकायुक्त की नियुक्ति का वादा किया गया था। लेकिनआज तक इस वादे को पूरा नहीं किया गया है।





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