
गुजरात की बेबी अरिहा शाह जर्मनी के चाइल्ड केयर यूनिट में 20 महिने से फंसी हुई है। अरिहा की मां ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की गुहार लगाई है। उन्होनें पीएम मोदी से जल्द उनकी बच्ची अरिहा को भारत वापस लानें मदद करने को कहा है।
मेरी बेटी को भारत लाएं- अरिहा की मां
जर्मनी के चाइल्ड केयर यूनिट में 20 महिने से फंसी अरिहा की मां धरा ने पीएम से निवेदन कर कहा कि- प्रधानमंत्री जी, मेरी बेटी को वापस भारत लाने में मेरी मदद कीजिए। जर्मनी चाइल्ड केयर यूनिट ने हमारी बच्ची छीन ली है। वो 20 महीने से चाइल्ड केयर यूनिट में है। कोर्ट का फैसला आने के बावजूद उसे रिलीज नहीं किया जा रहा है।
2021 में हुई अरिहा अपने घर से दूर
ये मामला 2021 का है जब अरिहा करीब 7 महीने की थी और तब उसकी दादी जर्मनी गईं थीं। इस दौरान गलती से अरिहा के प्राइवेट पार्ट पर चोट लग गई। डायपर में खून दिखने के बाद पेरेंट्स अरिहा को अस्पताल ले गए। यहां उन पर जर्मनी चाइल्ड केयर यूनिट ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। इसके बाद बच्ची को मां- बाप से दूर फॉस्टर केयर में भेज दिया गया।
जर्मन में पेरेंटल कस्टडी का किया केस
अरिहा की मां धरा ने जानकारी दी कि अस्पताल में बच्ची को ले जाने पर हॉस्पिटल वालों ने चाइल्ड अथॉरिटी को बुलाया और वह बच्ची को ले गए। दिसंबर 2021 में हॉस्पिटल की रिपोर्ट में यौन उत्पीड़न का कोई मामला सामने नहीं आने पर केस को खारिज कर दिया। धरा के मुताबिक- गलतफहमी के दूर होते ही हमे लगा कि बच्ची हमारे पास वापस आ जाएगी, लेकिन जर्मन चाइल्ड केयर यूनिट ने हमारे खिलाफ पेरेंटल कस्टडी का केस जारी रखा।
फैमिली कोर्ट की रिपोर्ट में बच्ची मां से अटैच
फैमिली कोर्ट ने ऑर्डर दिया कि हमारी बच्ची की देखभाल करने की क्षमता पर रिपोर्ट बनाई जाए। रिपोर्ट आने में 12 महीने लग गए। पाया गया कि बच्ची पेरेंट्स से ज्यादा अटैच है। बच्ची साथ में दिन भर रहने वाली केयर टेकर की ओर कम और दिन में सिर्फ एक घंटा मिलने वाली मां से ज्यादा जुड़ाव रखती है। इसके हवाले से कहा गया कि बच्ची को स्ट्रेंजर अटैचमेंट डिसऑर्डर है, यानी बच्ची अनजानों से जल्दी घुल-मिल जाती है, ये खतरनाक है। हालांकि, यह भी पाया गया कि बच्ची अपने माता-पिता के साथ खुश रहती है और डरती नहीं है। इस वजह से बच्ची को पेरेंट्स चाइल्ड फैसिलिटी में पेरेंट्स के साथ रखा जाए।
गुजरात सरकार ने भेजा जर्मन नोटिस
वहीं अब फैसला आने के बाद गुजरात सरकार ने जर्मनी को नोटिस भेजा और कहा कि, बच्ची इंडियन सिटिजन है। इस वजह से बच्ची को भारत सरकार की देखरेख में रखा जाए। कोर्ट के फैसले के इंतजार में काफी वक्त निकल गया और अब एक हफ्ते जर्मन चाइल्ड वेलफेयर ने बच्ची को नए सेंटर में डाल दिया। यहां कमजोर दिमाग वाले बच्चो को रखा जाता है। धरा ने कहा- मैं चाहती हूं कि प्रधानमंत्री मोदी इस मामले में हस्तक्षेप करें और बच्ची को जल्द से जल्द हमसे मिलाएं।
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